दिल्ली के भूकंप की चर्चा हर ओर है. भूकंप आम तौर पर तीव्रता और झटके के लिए जाना जाता है. लेकिन, सोमवार सुबह आए भूकंप के बाद चर्चा उस खतरनाक आवाज की है जो भूकंप के साथ आई थी. पूरे दिल्ली एनसीआर में सुबह 5 बजकर 37 मिनट पर आए झटके में सबसे डरावनी वो आवाज थी जिसने तड़के लोगों को नींद से उठा कर रख दिया.
क्यों आई इतनी तेज गगड़ाहट की आवाज़
भूकंप का केंद्र यानि एपीसेंटर दिल्ली में था. सेस्मिक जोन 4 में आने के कारण दिल्ली भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है. लेकिन रिक्टर स्केल पर महज 4.0 की इंटेंसिटी वाले इस भूकंप ने आखिरकार लोगों को अगर डराया तो वो थी इसकी आवाज़.
भूकंप मामलों के जानकार डॉ सुशील कुमार कहते हैं "जब भूकंप आता है तो दो तरह के वेव निकलते हैं. ज्यादा तेज चलने वाली P-wave और धीमी चलने वाली S-wave. एपीसेंटर के पास P-wave अलग अलग कणों में कंपन पैदा करता है और उसी की वजह से तड़के लोगों को तेज़ आवाज़ सुनाई पड़ी." इसके अलावा भूकंप के केंद्र की गहराई धरती के महज 5 किलोमीटर नीचे था. जिसकी वजह से भी कम तीव्रता का भूकंप भी सतह पर ज्यादा प्रभावी रहा. हालांकि इसी वजह से इसका असर काफी बड़े इलाके में नहीं देखने को मिला.
दिल्ली में एपीसेंटर होना कितना सामान्य?
दिल्ली और आसपास के इलाके सेस्मिक जोन के हिसाब से काफी खतरे में रहते हैं. इसकी बड़ी वज़ह ये है कि दिल्ली की भौगोलिक स्थिति हिमालय के नजदीक है. जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तरपूर्वी भारत के इलाके भूकंप के हिसाब से सबसे ज्यादा खतरनाक इलाकों में आते हैं. क्योंकि दिल्ली की दूरी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे इलाकों से काफी नहीं है इसलिए यहां पर हिमालय के क्षेत्र में आने वाले बड़े भूकंप का असर ज्यादा रहने की आशंका होती है.
भूकंप का अध्ययन करने वाले बताते हैं कि "पिछली सदी का सबसे तेज भूकंप साल 1960 में आया जब उसकी तीव्रता 5.6 रही थी, उसके बाद जब भी भूकंप आते हैं तब उनकी तीव्रता कभी भी रिक्टर स्केल पर 5 से ऊपर नहीं होती है. साल 2020 में भी एक के बाद एक भूकंप का केंद्र दिल्ली रहा लेकिन उनकी तीव्रता कभी भी 4 से अधिक नहीं हुई."
क्या सोमवार को आए भूकंप का आ सकता है आफ्टर शॉक?
आमतौर पर एक बड़े भूकंप में काफी एनर्जी बाहर निकलती है. एक बड़े भूकंप के बाद जो बची कुची एनर्जी प्लेट्स में रह जाती है वह धीरे-धीरे आफ्टर शॉक के तौर पर निकलती है. बाद में आने वाले झटकों की तीव्रता मुख्य भूकंप की तुलना में 1 से लेकर 1.5 तक रिक्टर स्केल पर कम होती है. दिल्ली में आया भूकंप हालांकि मध्यम दर्जे का भूकंप था लेकिन इसकी तीव्रता इतनी अधिक नहीं थी कि इसके बाद किसी झटके की आने की आशंका हो.
क्या दिल्ली जैसे शहर में ज्यादा महसूस होते हैं भूकंप के झटके
दिल्ली में महज 4.0 की तीव्रता के भूकंप ने सबको हिला कर रख दिया. आमतौर पर जब भूकंप का वेव अपने केंद्र से ऊपर की ओर यानी वर्टिकल चलता है तो वह केंद्र के पास की सतह को प्रभावित करता है. इसलिए राजधानी दिल्ली के आसपास के इलाकों में इस भूकंप का असर ज्यादा देखने को मिला. दरअसल यहां पर सघन शहरी आबादी है और मकान भी या तो काफी ऊंचे हैं या काफी करीब बने हुए. ऐसी स्थिति में जब भूकंप के तरंग ऊपर की ओर आते हैं तो लोगों को आमतौर पर कंपन ज्यादा महसूस होती है.