मोदी सरकार की जातीय जनगणना कराने के फैसले को यूपी में पिछड़ों की गोलबंदी और 2027 चुनाव में अखिलेश यादव के PDA की काट के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है मोदी सरकार ने जातीय जनगणना का फैसला लेकर विपक्ष का ब्रह्मास्त्र छीन लिया है. राहुल गांधी ने जिस जातीय जनगणना को अपनी पार्टी के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया था और विपक्ष ने बीजेपी के खिलाफ अपनी नैरेटिव में इसे सेंट्रल थीम बना दिया था, उस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक झटके में ही जमीन पर ला दिया.
विपक्षी दल बता रहे अपनी जीत
विपक्षी दल जातीय जनगणना कराने के फैसले को अपनी जीत बता रहे हैं. राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उनका इस मुद्दे पर जबरदस्त दबाव काम आया और यह कांग्रेस पार्टी की जीत है. उधर, अखिलेश यादव ने इसे 90 प्रतिशत पीडीए के दबाव में 100 फीसदी सफलता करार दिया है.
बीजेपी ने अचानक यह फैसला क्यों लिया
सबसे बड़ा सवाल यह कि आखिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अचानक जातीय जनगणना कराने का फैसला क्यों लिया और यह फैसला कैसे लिया? क्या बीजेपी ने 2027 के यूपी चुनाव और 2025 के बिहार चुनाव में पिछड़ी जातियों की गोलबंदी को भांपकर यह फैसला लिया है?
इस बात पर सभी सहमत हैं कि बीजेपी का इस लोकसभा चुनाव में सीटें घटकर 240 पहुंच जाना, इस फैसले की सबसे बड़ी वजह है. राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बावजूद आरक्षण खत्म होने के नैरेटिव ने 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी का बना बनाया खेल खराब कर दिया था. इसी को देखते हुए बीजेपी ने वक्त रहते कोर्स कलेक्शन करने की कोशिश की है. माना जा रहा कैबिनेट में फैसले से एक दिन पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत से मलाकात के बाद इसपर आखिरी मुहर लग गई थी.
BJP किसी मद्दे को विपक्ष के हाथ में नहीं जाने देना चाहती
जातीय जनगणना कराने के फैसले की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. पाकिस्तान से तनाव के इस दौर में यह फैसला क्यों? माना जा रहा है राष्ट्रवाद के इस महौल में BJP दलित और ओबीसी के किसी मद्दे को विपक्ष के हाथ में नहीं जाने देना चाहती. यही वजह है की मंडल और कमंडल दोनों को ही भाजपा अपने दोनों हाथों में चाहती है.
यदि कोई माहौल बीजेपी के पक्ष में बनता है तो जातीय जनगणना का मुद्दा उसकी हवा नहीं निकाल सकता है. 2024 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी का खराब प्रदर्शन ने ही बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 240 पर पहुंचा दिया था. ऐसे में बिहार और यूपी के आगामी चुनाव विपक्ष के हाथ से पूरी तरह निकल जाए, उसमें जातीय जनगणना बीजेपी की सबसे बड़ी कोशिश दिखाई दे रही है.