World Population Day 2025: साल 1947 से अब तक... जानिए भारत की जनसंख्या का सफर

World Population Day: जनसंख्या के मामले में अगर भारत की बात करें तो सबको पता है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है.

World Population Day
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST
  • दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है भारत
  • आजादी से अब तक 4 गुना बढ़ चुकी है देश की जनसंख्या

दुनियाभर में हर साल 11 जुलाई को World Population Day मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य है कि जनसंख्या से जुड़े मुद्दों और उनके समाज और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में ग्लोबल लेवल पर जागरूकता फैलाई जा सके. इन मुद्दों में जनसंख्या में बढ़ोतरी, फैमिली प्लानिंग, रिप्रोडक्टिव राइट्स (प्रजनन से जुड़े अधिकार), लैंगिक समानता, गरीबी, एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी और हेल्थकेयर व शिक्षा तक पहुंच आदि शामिल हैं. 

जनसंख्या के मामले में अगर भारत की बात करें तो सबको पता है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है. आजादी से लेकर अब तक देश की जनसंख्या लगभग चार गुना बढ़ी है. 

वर्ष अनुमानित जनसंख्या (करोड़ में) जनसंख्या में वृद्धि
1947 ~34 करोड़ स्वतंत्रता के समय
1951 36.1 करोड़ (पहली जनगणना) मामूली वृद्धि
1971 54.8 करोड़ बढ़ती गति
1991 84.6 करोड़ तीव्र वृद्धि
2001 102.8 करोड़ 1 अरब पार
2011 121 करोड़ जनसंख्या विस्फोट
2023 ~146 करोड़ (अनुमान) दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या

साल 2023 में भारत चीन को पीछे छोड़ दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बन गया. 

जनसंख्या से संबंधित भारत सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए?

परिवार नियोजन कार्यक्रम, 1952
भारत दुनिया का पहला देश था जिसने आधिकारिक रूप से यह कार्यक्रम शुरू किया. इसका उद्देश्य छोटे परिवार को प्रोत्साहन देना था. यह मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को घटाने के उद्देश्य से शुरू किया गया. 

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 1976
भारत सरकार ने पहली बार जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट लाया. इसमें सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, टीकाकरण और महिलाओं के कल्याण पर भी फोकस था. 

आपातकाल और नसबंदी अभियान, 1975-77
विशेष रूप से 1976–77 (आपातकाल) के दौरान जबरदस्ती नसबंदी अभियान चलाया गया. 60 लाख से ज्यादा पुरुषों की जबरन नसबंदी की गई. इसका गलत असर जनसंख्या नीति पर पड़ा. 

नई राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000
साल 2000 में एक बार फिर राष्ट्रीय जनसंख्या नीति को लाया गया. इसका उद्देश्य 2010 तक प्रजनन दर को 2.1 तक लाना था. साथ ही, इसमें भी महिला और शिशु के स्वास्थ्य पर फोकस किया गया. साल 2010 में प्रजनन दर 2.6 तक आ पाई. 

नेशनल फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम 
भारत सरकार के National Family Planning Programme में NPP 2000 और मिशन परिवार विकास, 2017 के हिसाब से समय-समय पर बदलाव किए गए हैं. इस प्रोग्राम के तहत, अलग-अलग वर्टिकल्स पर काम किया जा रहा है. जैसे, 

  • गर्भनिरोधक विकल्प बढ़ाए गए: कंडोम और IUCD जैसे पारंपरिक तरीकों के अलावा, इंजेक्शन द्वारा गर्भनिरोधक (अंतरा कार्यक्रम) और सेंटक्रोमैन (छाया) जैसे नए विकल्प भी शुरू किए गए हैं. 
  • मुआवज़ा योजनाएं: नसबंदी कराने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जिसमें उनकी उस दिन की सैलरी या दिहाड़ी का मुआवजा भी शामिल है.
  • गर्भावस्था के बाद गर्भनिरोधक: डिलीवरी और गर्भपात के बाद आईयूसीडी और नसबंदी सेवाएं दी जाती हैं.
  • गर्भनिरोधकों की घर-घर पहुच: मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ASHAs) लोगों के घर-घर गर्भनिरोधक बांटती हैं, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच बढ़ जाती है. 
  • परिवार नियोजन रसद प्रबंधन सूचना प्रणाली (FP-LMIS): इस सिस्टम से हेल्थकेयर फैसिलिटी के हर लेवल पर फैमिली प्लानिंग कमोडिटी उपलब्ध होती हैं. 
  • मिशन परिवार विकास: यह पहल विशेष रूप से ज्यादा प्रजनन दर वाले राज्यों (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम) के लिए है.

जनसंख्या नियंत्रण विधेयक (Population Control Bill)
लंबे समय से पॉपुलेशन कंट्रोल बिल चर्चा में है कि भारत को चीन की तरह 2-बच्चों की नीति अपनानी चाहिए. कुछ राज्यों (जैसे यूपी, असम) ने इसे लागू करने का प्रस्ताव रखा. हालांकि, इस पर अभी कोई नियम तय नहीं हुआ है. 

भारत सरकार ने कई बार अलग-अलग रणनीतियों और कार्यक्रमों के ज़रिए इसे नियंत्रित करने की कोशिश की है. आज के दौर में जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ हेल्थ केयर सर्विसेज भी प्राथमिकता बन गई हैं. 

 

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