गुजरात के बनासकांठा जिले में 300 आदिवासियों को उनके पैतृक गांवों में वापस बसाया गया है. ये परिवार 12 साल बाद अपने घर लौटे हैं. कोदरवी समुदाय के 29 परिवारों को 2013 में 'चड़ोतरु' नामक एक पारंपरिक आदिवासी प्रथा के कारण अपना घर और जमीन छोड़कर जाना पड़ा था. यह प्रथा प्रतिशोध पर आधारित थी, जिसके कारण गांव में लगातार विवाद और तनाव बना रहता था. इन परिवारों ने पालनपुर और सूरत में शरण ली थी. 12 साल के इंतजार के बाद, सरकार और प्रशासन के हस्तक्षेप से उनकी घर वापसी संभव हुई है. गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी भी इस अवसर पर उपस्थित थे. बनासकांठा पुलिस और जिला प्रशासन ने इन परिवारों के पुनर्वास के लिए प्रयास किए. गांव के बुजुर्गों, पंचायत सदस्यों और समुदाय के नेताओं के साथ कई बैठकें की गईं ताकि शांतिपूर्ण वापसी सुनिश्चित हो सके. जिला प्रशासन ने इन परिवारों की लगभग 8.5 हेक्टेयर पुश्तैनी जमीन को चिन्हित कर उन्हें वापस किया. जो जमीनें बंजर हो चुकी थीं, उन्हें साफ कर खेती योग्य बनाया जा रहा है. सरकार ने सड़क, बिजली और पानी जैसी सभी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करवाई हैं. एक सदस्य ने अपनी वापसी पर कहा, "हम लोग 12 साल से अपने गांव में कभी नहीं आए थे. अब पहली बार आया हमें बहुत अच्छा लग रहा है" यह वापसी उनके लिए वनवास के बाद पुनर्वास जैसी है.