इस साल रक्षाबंधन पर राखियों का नया अंदाज देखने को मिल रहा है. 'ऑपरेशन सिंदूर' की कामयाबी के बाद यह पहला त्योहार है, और बाजार में 'ब्रह्मोस' मिसाइल तथा भारतीय सेना के पराक्रम को दर्शाने वाली राखियों की मांग बढ़ी है. देश के कई हिस्सों से सरहद पर तैनात जवानों के लिए राखियां भेजी जा रही हैं. आगर मालवा की स्कूली बच्चियों ने सैकड़ों राखियां बनाई हैं, जिनमें देशभक्ति की भावना है. 'राष्ट्र रक्षा सूत्र' नामक पहल के तहत छात्राएं अटारी और वाघा बॉर्डर जाकर सैनिकों को राखी बांधेंगी. यह कार्यक्रम 2006 से चल रहा है. 'शौर्य रक्षा चैरिटेबल ट्रस्ट' पिछले 12 सालों से हजारों राखियां सीमाओं पर भेज रहा है. 'सिपाही संगठन' ने 12 लाख राखियां इकट्ठा की हैं. सूरत के 'डी कुशाल दास ज्वेलर्स' ने 'ऑपरेशन सिंदूर' से प्रेरित होकर सोने और चांदी में 'ब्रह्मोस' मिसाइल जैसी राखियां तैयार की हैं. इन राखियों में नौ कैरेट गोल्ड की कीमत 50,000 रुपये है और 16 ग्राम सिल्वर की राखी का दाम 3500 रुपये है. यह बताया गया कि 'भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी और भारतीय सेना द्वारा जो सिंदूर ऑपरेशन पार किया गया था, उसको देखते हुए ब्रह्मस्त मिसाइल राखी बनाई गई है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी है और शौर्य भी उसमें जुड़ता है' रक्षाबंधन अब देश के प्रति प्रेम, फौज के प्रति सम्मान और संस्कृति के प्रति जुड़ाव का त्योहार बन गया है.