दिल्ली के बाहरी इलाकों में कूड़े के पहाड़ एक बड़ी समस्या रहे हैं, लेकिन अब इसका समाधान मिल गया है. प्रधानमंत्री ने 17 अगस्त को दिल्ली को द्वारका एक्सप्रेसवे और अर्बन एक्सटेंशन रोड टू का तोहफा दिया. इन सड़कों के निर्माण में पहली बार 10 लाख मीट्रिक टन कूड़े का इस्तेमाल हुआ है. यह प्रयास इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कूड़े के पहाड़ों से निजात पाने की कोशिश लंबे समय से चल रही थी. गाजीपुर, ओखला और बलसभा जैसी लैंडफिल साइट्स से निकले कचरे का उपयोग दिल्ली की नई सड़कों को आकार देने में किया गया है. यह निर्माण 'वेस्ट टु वेल्थ' मॉडल पर आधारित है, जहाँ कचरा जो पहले बदबू और पर्यावरण प्रदूषण का कारण था, अब दिल्ली की रफ्तार बन गया है. सड़क को प्लास्टिक और अन्य पदार्थों के मिश्रण से बनाया गया है, जो इसे जल प्रतिरोधी और ठोस बनाता है. यह सड़क अलीपुर से महिपालपुर तक जाती है और दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे को जोड़ती है. यह बवाना, रोहिणी, मुंडका, द्वारका से गुजरते हुए NH2 और NH10 को भी कनेक्टिविटी प्रदान करती है. यह दिल्लीवासियों के लिए एक नई उम्मीद है, जहां कचरे की समस्या से पर्यावरण को भी राहत मिली है.