बिहार के रहने वाले और दिल्ली में मजदूरी करने वाले रोहित कुमार का सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है. 35 वर्षीय रोहित दिन में कंस्ट्रक्शन साइट पर भारी मजदूरी करते हुए लगभग 1000 से 1200 रुपये कमाते हैं. इसी काम को वह अपनी एंडुरेंस ट्रेनिंग मानते हैं. सुबह रनिंग और शाम को स्विमिंग के साथ-साथ साइक्लिंग भी उनकी दिनचर्या का हिस्सा है. कोरोना लॉकडाउन के दौरान यूट्यूब पर मैराथन देखकर उन्होंने इस क्षेत्र में आने का फैसला किया. 2021 से अब तक रोहित 100 से अधिक मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं. हाल ही में स्पीति में हुई 77 किलोमीटर की अल्ट्रा मैराथन में उन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया, जिसे 7 घंटे 44 मिनट में पूरा किया. बिना किसी कोच के यह उपलब्धि हासिल करना एक बड़ी बात है. रोहित का लक्ष्य 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में मैराथन और ट्रायथलॉन में भाग लेना है.