महाराष्ट्र के गजानन भालेराव ने अपना पूरा जीवन मधुमक्खी पालन को समर्पित कर दिया है. पिछले 17 सालों से वे पेशेवर तरीके से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं. उनकी धर्मपत्नी माधुरी भी इस कार्य में उनका साथ देती हैं. गजानन भालेराव हजारों मधुमक्खियों के बीच बिना ग्लव्स के काम करते हैं और उनके लिए मधुमक्खियों की भनभनाहट मधुर संगीत के समान है. उनका मानना है कि अगर धरती से मधुमक्खियां खत्म हो गईं, तो तीन से चार साल में इंसान का अस्तित्व भी नष्ट हो जाएगा. वे किसानों से अपनी फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग न करने की गुजारिश करते हैं, क्योंकि ये मधुमक्खियों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. गजानन भालेराव ने अपने बेटे से कहा है, "मैं भी मर गया ये बक्से के ऊपर जलाने का और तू भी क्या कर? इसी के ऊपर काम कर पूरा मधुमक्खी के पालन मधुमक्खी के पालन ही कर बस दूसरा कुछ भी नहीं." उन्होंने 2007 में राजस्थान के कोटा और झालावाड़ में मधुमक्खी पालन देखकर यह काम शुरू किया था. आज उनके पास 1000 बक्से हैं और वे पूरे देश में घूम-घूम कर कारोबार करते हैं. उनके कारोबार से करीब 80,000 लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.