दशहरा के बाद भी रामायण से जुड़ी परंपरा कई जगह निभाई जाती है. रावण दहन के अगले दिन वाराणसी में भरत मिलाप का दिव्य आयोजन किया गया. काशी में ये परंपरा 479 साल से निभाई जा रही है. जिसे देखने के लिए इस बार नाटी इमली के मैदान में जनसैलाब उमड़ पड़ा. दशहरा के ठीक अगले दिन काशी के नाटी इमली के मैदान पर 479 वर्षों से चली आ रही भरत मिलाप की ये परंपरा इस बार भी अद्भुत रूप से निभाई गई. भरत मिलाप की इस ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन संत मेधा भगत ने की थी.
Lakhs of devotees gathered to witness Varanasi's historic Bharat Milap that takes place a day after Dusshera.