गुरु पूर्णिमा, गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है. गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करता है और यथाशक्ति दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करता है. शिष्य इस दिन अपने सारे अवगुणों को गुरु को अर्पित कर देता है और अपने जीवन का भौतिक, आध्यात्मिक हर तरह का भार अपने गुरु को दे देता है.