भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को 114 स्वदेशी राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव भेजा है. ये विमान 'मेड इन इंडिया' पहल के तहत भारत में ही बनाए जाएंगे, जिसमें फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन और भारतीय एयरोस्पेस कंपनियां सहयोग करेंगी. अगर यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है तो रक्षा के क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा सौदा साबित होगा, जिसकी अनुमानित लागत 2,00,000 करोड़ रुपए से अधिक होने की संभावना है. इन राफेल विमानों में 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरणों का इस्तेमाल होगा और इनमें लंबी रेंज वाली एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. डसाल्ट एविएशन हैदराबाद में एम80 एयर इंजनों के लिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है. टाटा जैसी भारतीय निजी कंपनियां भी इस मैन्युफैक्चरिंग में शामिल होंगी. भारतीय वायुसेना भविष्य में सुखोई 30 एमकेआई, राफेल और देश में निर्मित पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर निर्भर रहेगी. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 19 सेवेन के लिए 62,000 करोड़ रुपए का ऑर्डर मिला है, और 2021 में 83 एलसीए एमके वॅन ए जेट के लिए 48,000 करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया था, जिससे कुल 180 एलसीए एमके वॅन ए विमानों का सौदा हो चुका है. यह 'मेड इन इंडिया' राफेल सौदा आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बड़ी छलांग है.