भारत का 'मेक इन इंडिया' मिशन रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को सशक्त कर रहा है. देश के डिफेंस प्रोडक्शन में 2019-20 की तुलना में 90% की वृद्धि हुई है, जो 2023 में 1.27 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 तक 1.50 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. रक्षा आयात 70% से घटकर 35% रह गया है, जिसमें रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी पांच पॉजिटिव इंडिजनाइजेशन लिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसके तहत लगभग 5000 आइटम्स के आयात पर पाबंदी है. भारत का रक्षा निर्यात 2004-14 के 4312 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-24 में 88,319 करोड़ रुपये हो गया है, और 2029 तक इसे 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है. उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में स्थापित डिफेंस कॉरिडोर में अत्याधुनिक हथियार बन रहे हैं, जबकि राजस्थान में तीसरे कॉरिडोर पर चर्चा जारी है. डीआरडीओ द्वारा विकसित अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसी मिसाइलों और धनुष व एटीएजीएस जैसी स्वदेशी तोपों का निर्माण भारत को एक प्रमुख हथियार निर्यातक देश बना रहा है.