सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है और इसके साथ ही कांवड़ यात्रा का भी आगाज हो गया है. हरिद्वार, प्रयागराज, काशी और वैद्यनाथ धाम जैसे प्रमुख स्थानों पर शिव भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है. इस यात्रा को शिव के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, जिसमें सुरक्षाकर्मी तैनात हैं और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है. कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों की जांच हो रही है और नॉन-वेज की दुकानें बंद कर दी गई हैं ताकि यात्रा की पवित्रता बनी रहे. काशी विश्वनाथ धाम में इस बार लगभग 1.5 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. मंदिर प्रशासन ने वीआईपी दर्शन, स्पर्श दर्शन और विशेष आग्रह दर्शन पर रोक लगा दी है. बाबा वैद्यनाथ धाम में भी श्रावणी मेला आरंभ हो गया है और बोल बम का जयघोष गूंज रहा है. मुरादाबाद में सावन के महीने में पीतल के लोटे, कलश और पूजा के बर्तनों की मांग कई गुना बढ़ गई है. कारीगर अब 8 घंटे की बजाय 12-12 घंटे काम कर रहे हैं ताकि मांग पूरी की जा सके. सावन का पवित्र महीना सिर्फ धरती का नहीं बल्कि ऐश्वर्य और समृद्धि का भी प्रतीक है. यह महीना भक्ति और रोजगार दोनों का मौसम बनकर आया है, जिसमें शिवभक्ति के अनोखे रंग पूरे सावन भर देखने को मिलेंगे.