पहले विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने भारत को आजादी देने के लिए एक कमीशन बनाने का वादा किया था. इस कमीशन में सभी सदस्य अंग्रेज थे, जिससे देश में आक्रोश फैल गया. लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण जुलूस का नेतृत्व कर रहे लाला लाजपत राय पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं और उनकी मृत्यु हो गई. लाला लाजपत राय की पत्नी ने देश के नौजवानों से इस बलिदान का बदला लेने का आह्वान किया. चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह ने इस कार्य का बीड़ा उठाया. उन्होंने पुलिस अधीक्षक को मारने की योजना बनाई, लेकिन गलती से जॉन नामक अधिकारी को मार दिया. पुलिस ने क्रांतिकारियों का पीछा किया, लेकिन चंद्रशेखर आजाद के अचूक निशाने से वे बच निकले. भगत सिंह की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने जेल से रिहा होने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि "हम हंसते हंसते, कुर्बान होने का जज्बा रखते हैं" और वो इस संदेश को देश के नौजवानों तक पहुंचाना चाहते थे.