एमआईटी की एक रिसर्च में सामने आया है कि चैट जीपीटी जैसे एआई टूल्स का अत्यधिक उपयोग इंसानों की सोचने समझने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है. रिसर्च के अनुसार, "अगर आप क्रिटिकल थिंकिंग की जगह अपना डिपेंडेंस चैट जीपीटी से आने वाली रिप्लाइज़ पर करेंगे और ब्रेन की ऐक्टिविटी को कम करेंगे तो निश्चित रूप से ब्रेन के अंदर जो क्रियेटिविटी है, जो क्रिटिकल थिंकिंग है, समस्याओं से जूझने की जो शक्ति है, उसका विकास कम हो जाएगा." यह भी सामने आया है कि चैट जीपीटी जहां रेडी-टू-ईट कंटेंट देता है, वहीं गूगल जैसे टूल्स केवल जानकारी जुटाते हैं, जिससे दिमाग के इस्तेमाल की गुंजाइश कम हो जाती है.