उत्तराखंड सरकार ने पहाड़ों के इकोसिस्टम को बनाए रखने के लिए एक नई पहल की है. इसके तहत अब मसूरी जाने वाले पर्यटकों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. सरकार का उद्देश्य रजिस्ट्रेशन के माध्यम से सैलानियों की सही संख्या का पता लगाना और उन्हें पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करना है. साथ ही, इसका लक्ष्य पहाड़ों के पर्यावरण का ध्यान रखना भी है. मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाता है, जहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. हाल के दिनों में बड़ी संख्या में सैलानियों के पहुंचने से वहां के इकोसिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. मई-जून के महीनों में पहाड़ों पर गाड़ियों की लंबी कतारें देखी गई हैं. उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने मसूरी आने वाले सैलानियों के लिए रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू की है. जोशीमठ भूधसाव के बाद एनजीटी कई पहाड़ी क्षेत्रों में कैपेसिटी की लगातार मॉनीटरिंग कर रहा है. पर्यटन विभाग ने भीड़ प्रबंधन, यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने और स्थानीय लोगों की समस्याओं को कम करने के लिए यह कदम उठाया है. वर्ष 2024-25 में अब तक मसूरी में 21,34,000 से अधिक पर्यटक आ चुके हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के बाद सैलानियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है. इसके लिए मसूरी में ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए जा रहे हैं. होटल एसोसिएशन भी इस प्रक्रिया में सहयोग कर रहा है, जिससे सैलानी रजिस्ट्रेशन न करें तो होटल कर्मचारी उनका रजिस्ट्रेशन कर सकें.