मुंबई की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाले हर्ष गुप्ता ने अपनी मेहनत से कामयाबी हासिल की है. उनके पिता कल्याण इलाके में पानीपुरी का ठेला लगाते हैं. हर्ष ने आईआईटी में जाने का सपना देखा था. ग्यारहवीं कक्षा में वे अनुत्तीर्ण हो गए थे और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी थीं. इन चुनौतियों के बावजूद, हर्ष ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अगले साल ग्यारहवीं और बारहवीं दोनों अच्छे अंकों से पास की. हर्ष ने रोजाना 10-12 घंटे पढ़ाई की. उन्होंने अपनी दीवार पर शॉर्ट नोट्स चिपकाए थे, जिनसे उन्हें पढ़ाई में मदद मिली. इसका परिणाम यह हुआ कि हर्ष ने जेईई मेन परीक्षा उत्तीर्ण की और आज वे आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. हर्ष ने बताया, "मेरे पापा पानीपुड़ी की शॉप लगाते थे पापा मम्मी तो फाइनैंशल इश्यू थे. हां, मैंने मोशन कोटा से तैयारी करी, जहां पर मुझे थोड़ी बहुत स्कॉलरशिप मिली. जीस वजह से मैं कोटा को अफॉर्ड कर पाया" हर्ष के पिता ने कहा, "बच्चे के तरकी से मेरे को बहुत खुशी हुई है. बहुत अच्छा लग रहा है और आगे मतलब ये जो करना चाहे करे, हम उनके सपोर्ट में हैं" हर्ष के सपने को पूरा करने के लिए पूरे परिवार ने उनका समर्थन किया. उनके पिता ने बेटे की पढ़ाई में कभी पैसे की कमी नहीं आने दी और इसके लिए सुबह-शाम दोनों समय काम किया.