देशभक्ति अमीरी या गरीबी की मोहताज नहीं होती. फुटपाथ पर तिरंगा बेचने वाले परिवार इस बात का प्रमाण हैं. इन परिवारों के लिए आजादी के मायने बहुत गहरे हैं. मुन्नी बानो का परिवार और इब्राहिम का परिवार, जो राजस्थान से आकर तिरंगे बेचते हैं, पैसों के बिना भी देश के प्रति गहरा प्रेम रखते हैं. वे सुबह से शाम तक फुटपाथ पर संघर्ष करते हैं, लेकिन देश की आज़ादी के जश्न में अपने गम भूल जाते हैं. वे तिरंगे को अपनी इज्जत मानते हैं और उसकी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं करते. एक व्यक्ति ने कहा, "झंडे की इज्जत, हमारी इज्जत एक ही है" वे ग्राहकों को भी तिरंगे का सम्मान करना सिखाते हैं. एक अन्य व्यक्ति ने बताया, "आजादी ने मुझे इस खुली हवा में सांस लेने का मौका दिया" ये परिवार तिरंगे को अपने घर की इज्जत की तरह सुरक्षित रखते हैं और उसकी पूजा करते हैं. उनके लिए तिरंगा सिर्फ कमाई का जरिया नहीं, बल्कि आन, बान और शान है.