उत्तराखंड में 7 अगस्त को आई आपदा के बाद हर्षिल घाटी में बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां बचाव कार्य में जुटी हैं. धराली में बचे हुए लोगों की तलाश और उन्हें राहत पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि अब यहां तक पहुंचना मुश्किल है. सेना की पैरा ब्रिगेड ने मोर्चा संभाला है ताकि जरूरतमंद लोगों को राहत सामग्री की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके. एक अधिकारी ने बताया कि "मल्टी स्केल एक बहुत बड़ा ऑपरेशन जिसमें रेस्क्यू रिलीफ सर्च और उसके साथ साथ सबसे बड़ी जो चुनौती है वो है कि रोड कनेक्टिविटी को बनाए रखा जाए और अगर रोड कनेक्टिविटी नहीं है तो इतनी सुविधाएं जरूर हो कि कम से कम जो आपूर्ति है, जिसकी जरूरत है वहां पर धराली में वो लगातार जाती रहे." सेना ने हर्षिल से धराली को जोड़ने के लिए रोप वे जैसा जिप लाइट तैयार किया है. वायु सेना के हेलिकॉप्टरों से भी राहत पहुंचाई जा रही है, जिसमें एक गर्भवती महिला को हर्षिल से धरासू लाया गया. धराली से अब तक 1300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. मलबे में लोगों की तलाश के लिए 10 खोजी कुत्तों और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल किया जा रहा है. सेना के चीता हेलिकॉप्टर से एल आइडी ए आर सर्वे भी किया गया है. बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने नेशनल हाईवे 34 पर लिमचीघाट पुल की जगह 100 मीटर लंबा बेली ब्रिज बनाया है. 1000 से ज्यादा जवान और कर्मचारी राहत ऑपरेशन में लगे हैं.