मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की पहचान बन चुकी बुजुर्ग हथनी ‘वत्सला’ का निधन हो गया है. बताया जा रहा है कि वत्सला की उम्र 100 वर्ष से भी अधिक थी. वह लंबे समय से बीमार चल रही थी और हिनौता परिक्षेत्र में उसने अंतिम सांस ली. इस दुखद खबर से टाइगर रिजर्व सहित पशु प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई.
100 साल से अधिक थी वत्सला की उम्र-
वत्सला सिर्फ एक हथनी नहीं, बल्कि पन्ना के वन्यजीव प्रेमियों और टाइगर रिजर्व के स्टाफ के लिए परिवार का हिस्सा बन चुकी थी. दशकों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही वत्सला अपने शांत स्वभाव और विशाल कद-काठी के कारण सभी की प्रिय थी. हालांकि उसकी उम्र को लेकर कई बार प्रयास हुए कि उसका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाए, लेकिन औपचारिक दस्तावेजों के अभाव में यह संभव नहीं हो सका. फिर भी, वत्सला ने प्रकृति प्रेमियों के दिलों में जो जगह बनाई, वह किसी रिकॉर्ड से कहीं बढ़कर है.
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वत्सला की मृत्यु स्वाभाविक कारणों से हुई है. बीते कुछ महीनों से उसकी तबीयत नासाज चल रही थी और वन चिकित्सकों की टीम उसकी लगातार निगरानी कर रही थी. वत्सला के जाने से पन्ना टाइगर रिजर्व ने न केवल एक हथनी, बल्कि अपने इतिहास का एक अहम हिस्सा खो दिया है.
1971 में नीलांबुर के जंगल से लाई गई थी-
वत्सला को साल 1971 में केरल के नीलांबुर के जंगल से मध्य प्रदेश लाया गया था. पहले वत्सला को नर्मदापुरम में रखा गया था. उसके बाद उसे पन्ना टाइगर रिजर्व में ले जाया गया. उसके बाद से लगातार वत्सला पन्ना टाइगर रिजर्व में ही थी. वत्सला ने अपना आखिरी समय भी पन्ना टाइगर रिजर्व में ही बिताया. हथिनी को रोजाना खैरेयां नाले पर नहलाया जाता था. उसको खाने में दलिया जैसा नरम भोजन दिया जाता था. वत्सला अपनी उम्र के चलते देख नहीं पाती थी. वो ज्यादा दूर तक चलने में भी असमर्थ हो गई थी.
(रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)
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