4 लाख फ्लेमिंगो ने कच्छ को बनाया नया स्वर्ग, देखने के लिए घंटों रुक रहे पर्यटक

गुजरात का कच्छ अब लाखों फ्लेमिंगो का नया घर बन चुका है. खडीर से सांतलपुर की ओर जाने वाले ‘रोड टू हेवन’ के आसपास इन दिनों जो नजारा दिख रहा है, वो किसी स्वर्ग से कम नहीं है.

400000 flamingos the Rann of Kutch (Photo: ITG)
gnttv.com
  • अहमदाबाद,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

गुजरात का कच्छ अब लाखों फ्लेमिंगो का नया घर बन चुका है. खडीर से सांतलपुर की ओर जाने वाले ‘रोड टू हेवन’ के आसपास इन दिनों जो नजारा दिख रहा है, वो किसी स्वर्ग से कम नहीं है. दूर-दूर तक फैली रेतीली जमीन पर लगभग चार लाख फ्लेमिंगो और कुंज पक्षियों की गुलाबी चादर बिछी हुई है. पर्यटक घंटों तक वहीं रुककर इस अद्भुत दृश्य को कैमरे में कैद कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कच्छ में इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में फ्लेमिंगो कभी नहीं देखे थे.

4 लाख से ज्यादा हैं फ्लेमिंगो
पिछले कुछ सालों में कच्छ में फ्लेमिंगो की मौजूदगी में जिस तेजी से इजाफा हुआ है, वह अपने-आप में हैरान कर देने वाला है. पांच साल पहले जहां संख्या करीब 1 लाख थी, वहीं आज यह 4 लाख पार पहुंच चुकी है. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह बढ़ोतरी किसी संयोग का नतीजा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित कोशिश का परिणाम है. विभाग ने कच्छ में फ्लेमिंगो के प्राकृतिक व्यवहार, भोजन की पसंद और उनके प्रजनन पैटर्न का गहन अध्ययन किया और उसके आधार पर ऐसा वातावरण तैयार किया, जहां ये प्रवासी पक्षी आराम से अंडे दे सकें और बच्चे भी सुरक्षित रूप से पनप सकें.

कूड़े में बना फ्लेमिंगो ब्रीडिंग आइलैंड 
कच्छ के कूड़ा इलाके में बनाया गया एशिया का पहला आर्टिफिशियल ‘फ्लेमिंगो ब्रीडिंग आइलैंड’ इस सफलता की सबसे बड़ी वजह है. यहां 1 मीटर ऊंचे और 100 मीटर लंबे कृत्रिम प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं, जिन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि बरसात में भी ये जलमग्न न हों. पहले फ्लेमिंगो की मुख्य प्रजनन साइट पश्चिम कच्छ के बेहद दुर्गम इलाकों में थी, जहां पहुंचना मुश्किल था लेकिन अब कूड़ा में बना ये आइलैंड न सिर्फ सुरक्षित है बल्कि सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा भी जा सकता है.

फ्लेमिंगो की पसंदीदा हैंडलिंग साइट बना कच्छ
फ्लेमिंगो की पसंद का सबसे बड़ा राज है खारे और मीठे पानी का परफेक्ट मिश्रण. उनका मुख्य भोजन नीले-हरे शैवाल होते हैं, जो केवल ऐसी परिस्थितियों में पनपते हैं जहां खारापन और मीठा पानी साथ-साथ मौजूद हों. गर्मियों में जब रण का पानी सूखने लगता है, तो वन विभाग मीठा पानी छोड़ता है, जबकि पाकिस्तान की ओर से आने वाला बाढ़ का पानी प्राकृतिक खारापन मिलाता है. दोनों के मिलने से ऐसा वातावरण बनता है, जैसा फ्लेमिंगो को बिल्कुल पसंद है और यही वजह है कि कच्छ उनकी पसंदीदा हैंडलिंग साइट बन चुका है.

रिपोर्ट-ब्रिजेश दोशी

 

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