National Book of Records: कमाल के भाई-बहन! किसी भी देश का झंडा देख नाम बता देता है 6 साल का नमिष, 3 साल की गिरीशा नक्शे पर हर Country की कर लेती है पहचान, नेशनल बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज

कहते हैं कि प्रतिभा की कोई आयु सीमा नहीं होती. इस बात को 6 साल के नमिष और तीन साल की उनकी बहन गिरीशा ने साबित कर दिखाया है. नमिष किसी भी देश का झंडा देख नाम बता देते हैं. गिरीशा नक्शे पर हर देश की पहचान कर लेती है. 

Namish and Girisha
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST
  • नमिष के नाम 4 मिनट 49 सेकेंड में सभी देशों के नाम बताने का रिकॉर्ड
  • सेकेंड क्लास में पढ़ते हैं नमिष

माता-पिता की गोद में बैठने की उम्र में भाई-बहन ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जो इस उम्र के बच्चे या उनके पैरेंट्स शायद सोच भी नहीं सकते हैं. यह कमाल 6 साल के नमिष और 3 साल की गिरीषा ने कर दिखाया है. नमिष दुनिया के किसी भी देश के झंडे को देखकर उसका नाम बता देते हैं तो वहीं उनकी बहन गिरीशा नक्शे पर दुनिया भर के देशों की पहचान कर लेती हैं. टूटी फूटी आवाज में गिरीशा उस देश का नाम भी बताती हैं.

महज इतने मिनट में बता दिए थे सभी देशों के नाम 
6 साल का नमिष किसी भी देश का फ्लैग देखकर उसका नाम और कॉन्टीनेंट बता देता है. नमिष की इस उपलब्धि के कारण उनका नाम नेशनल बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो गया है. नेशनल बुक ऑफ रिकार्ड में नमिष ने सभी देशों के नाम महज 4 मिनट 49 सेकेंड में बताए हैं.

किसी भी देश की करेंसी पहचान जाते हैं नमिष
इतना ही नहीं, नमिष किसी भी देश की करेंसी को पहचान सकते हैं. नमिष डॉक्टर्स में अलग-अलग स्पेशलिस्ट को भी बता सकते हैं. जैसे आंखों के डॉक्टर को क्या कहते हैं, बच्चों के डॉक्टर को क्या कहते हैं. सेकेंड क्लास में पहुंचे नमिष को पता है कि हाल ही में किन देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बने और उसमें भारत ने किन मिसाइल या एयरक्राफ़्ट का इस्तेमाल किया.

कोविड में मां को आया आइडिया
नमिष और गिरीशा को इतना तेज तर्रार बनाने के पीछे उनकी मां नीरू बाला का हाथ हैं. वो बताती हैं कि कोविड के वक्त नमिष स्कूल नहीं जाता था. आसान था बच्चों को मोबाइल फोन दे देना लेकिन मैंने उनको खेल-खेल में दुनिया के देशों का नाम सीखाना, नक्शे को देखकर ये बताना कि कौन सा देश कहां सीखाना शुरू किया. नीरू बताती हैं कि कैसे पैरेंट्स अपने बच्चों को बिना उन पर कोई बाहरी लोड डाले, उन्हें सहीं दिशा में ले जा सकते हैं. 

बच्चों की वजह से मिला सम्मान
नीरू बताती हैं कि वो खुद नई-नई चीजें जानना-सीखना चाहती थीं लेकिन बचपन में घर के ऐसे हालात नहीं थे कि बहुत अच्छी पढ़ाई की जा सके. नीरू अपने बच्चों को अब मैथेमेटिक्स में बहुत अच्छा बनाना चाहती हैं. नमिष और गिरीशा के पिता अंकुश कुमार बताते हैं कि बच्चों की वजह से बड़े-बड़े नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें मिलने बुलाया और बच्चों पर खूब प्यार लुटाया.

एक बार प्रधानमंत्री से हो बच्चों की मुलाकात 
बच्चों के दादा राम भूषण कहते हैं कि उम्मीद नहीं थी कि बच्चे इतना आगे जाएंगे लेकिन अब हमारी एक ही इच्छा है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी हमारे बच्चों से एक बार जरूर मिलें. कई लोग ऐसे बच्चों को ईश्वर का चमत्कार समझते हैं लेकिन बच्चों के माता-पिता बताते हैं कि यदि कोई भी पैरेंट्स थोड़ी सी समझदारी से बच्चों के साथ मेहनत करें तो हर बच्चा ऐसा हो सकता है.


 

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