राखीगड़ी में पुरात्व विभाग पिछले 32 साल से काम कर रहा है. समय-समय पर चल रहे खुदाई कार्य में एक के बाद एक चीजे दुनिया के सामने आने लगी हैं. अब ये पता चला है कि ये वो जगह है जो इतिहास की सबसे पुरानी हड़पा कल्चर साइट है. राखी गड़ी में पुरातत्व विभाग की खोज में कुछ मकानों के स्ट्रक्चर, किचन कॉम्प्लेक्स और एक 5000 साल पुरानी आभूषण बनाने की फैक्ट्री मिली है जो ये समझाती है कि व्यापार के लिहाज से ये जगह कितनी महत्वपूर्ण रही होगी.
दरअसल, राखीगड़ी इतिहास की एक ऐसी झलक दिखाता है जो ये समझाती है कि आखिर इतिहास कैसा रहा होगा. इतिहास की इसी कहानी को जीवंत करने की तस्वीरें अब सामने आने लगी हैं.
खुदाई में मिला कब्रगाह
सिनौली के बाद यहां भी खुदाई में कब्रगाह मिला हैं. जिससे ये समझ आया है कि इस सभ्यता के लोग ये मानते थे कि मौत के बाद भी एक जन्म होता है. वे लोग अगले जन्म में विश्वास रखते थे. वहीं सिनोली और इस सभ्यता में काफ़ी जुड़ाव भी देखने को मिलता है. यहां दो महिलाओं के कंकाल भी मिले हैं. इससे पता चलता है कि भले ही ये 5000 साल पुराने हों, पर उस समय ये किसी पद पर आसीन महिला का ही कंकाल है. क्योंकि आसपास बिखरे हुए ये टूटे बर्तनों से ये समझ आ रहा है कि अंतिम पड़ाव की इस विदाई में खास व्यक्ति को विशेष दर्जा प्राप्त था.
इसके साथ, राखीगढ़ी में पिछले 2 महीने में बहुत-सी ऐसी चीजें मिली हैं जो ये समझाती हैं कि उस समय की सभ्यता कई मायनों में विकास की तरफ आगे बढ़ रही थी. यहां हजारों की तादाद में मिट्टी के बर्तन, शाही मौहरे, बच्चों के खिलौने समझाते हैं कि जो जगह आज वीरान है वो कभी आबाद थी.
तीनों जगह एक दूसरे से कुछ ही दूरी पर हैं
सिनौली, हस्तिनापुर और राखीगढ़ी ये तीनों जगह एक दूसरे से कुछ ही दूरी पर हैं. राखीगढ़ी में विकास की राह बहते-बहते सिनौली और हस्तिनापुर पहुंची. पुरातत्व विभाग मानता है कि राखीगढ़ी आधुनिक भारत की संभ्यता की वो झलक है जिसने बाद में विकसित होती सभ्यताओं को रूपरेखा दी.
एएसआई के एडीजी डॉ संजय मंजुल कहते हैं कि ये तीनों साइट पर हमने पिछले 20 वर्षो में काफी काम किया है. आप ये कह सकते हैं कि राखीगढ़ी के लोग हस्तिनापुर के लोगों के पूर्वज थे और यहीं से इस जगह की संस्कृति को विकास मिला और गति मिली.