गज़ब! 1 साल 9 महीने की उम्र में इस बच्ची ने जानवर पहचानने का बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानिए कौन हैं कृद्धा सिन्हा

कृद्धा की यह उपलब्धि तो बस शुरुआत है. उनकी मां का कहना है कि वे कृद्धा को और भी नए क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर रही हैं. कृद्धा की यह कहानी न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती.

Kridha Shobhit Sinha (Photo: World Record India)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 12 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

मुंबई की सड़कों से लेकर विश्व रिकॉर्ड की किताबों तक, एक नन्हीं सी बच्ची ने अपनी असाधारण प्रतिभा से सबको हैरान कर दिया. मात्र 1 साल 9 महीने की उम्र में कृद्धा सिन्हा ने वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया में एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम किया है. इस छोटी सी उम्र में कृद्धा ने 1 मिनट में 32 जानवरों की तस्वीरों को उनके नाम सुनकर पहचान लिया, जो उनकी स्मृति और बुद्धिमत्ता का एक जीता-जागता सबूत है. आइए, इस नन्हीं जीनियस की कहानी को करीब से जानें.

प्रतिभा की पहली चिंगारी
कृद्धा की मां प्रीथा सिन्हा मीडिया से बात करते हुए कहती हैं कि उन्होंने अपनी बेटी की असाधारण क्षमता को बहुत जल्दी पहचान लिया. जब कृद्धा सिर्फ 2 महीने की थी, तब से ही उनकी मां ने उन्हें सीखने और याद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. प्रीथा बताती हैं, "मैंने देखा कि कृद्धा को चीजें जल्दी समझ में आती हैं.

मैंने उन्हें फल, सब्जियां, गाड़ियां और जानवरों के नाम सिखाने शुरू किए." सात महीने की उम्र तक कृद्धा ने न केवल इन चीजों को पहचानना शुरू कर दिया था, बल्कि उनके नाम भी याद रखने लगी थीं. यह उनकी मां की दूरदर्शिता और समर्पण का नतीजा था कि कृद्धा ने इतनी कम उम्र में इतना बड़ा मुकाम हासिल किया.

रिकॉर्ड का ऐतिहासिक पल
कृद्धा का रिकॉर्ड बनाने का सफर आसान नहीं था. रिकॉर्ड के लिए उन्हें एक मिनट में 3-4 जानवरों की तस्वीरों को एक साथ देखकर उनके नाम सुनकर सही पहचान करनी थी.

कृद्धा ने न केवल इस चुनौती को स्वीकार किया, बल्कि इसे बखूबी अंजाम भी दिया. उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें जीनियस किड रिकॉर्ड की श्रेणी में भी जगह दिलाई. यह रिकॉर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया में दर्ज हुआ, और कुछ गलतफहमियों के बावजूद, यह स्पष्ट है कि यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड नहीं, बल्कि भारत का एक प्रतिष्ठित रिकॉर्ड है.

प्रेरणा का स्रोत
कृद्धा की कहानी केवल एक रिकॉर्ड की कहानी नहीं है. यह माता-पिता और बच्चों के बीच विश्वास, प्रोत्साहन और समर्पण की मिसाल है. प्रीथा सिन्हा ने अपनी बेटी की रुचि को पहचाना और उसे पंख दिए. उनकी मेहनत और कृद्धा की प्रतिभा ने मिलकर यह साबित कर दिया कि उम्र महज एक संख्या है. यह कहानी हर उस माता-पिता के लिए प्रेरणा है जो अपने बच्चों की छोटी-छोटी उपलब्धियों को नजरअंदाज कर देते हैं. कृद्धा की उपलब्धि हमें सिखाती है कि सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से बच्चे कम उम्र में भी बड़े-बड़े कारनामे कर सकते हैं.

भविष्य की उड़ान
कृद्धा की यह उपलब्धि तो बस शुरुआत है. उनकी मां का कहना है कि वे कृद्धा को और भी नए क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर रही हैं. कृद्धा की यह कहानी न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती. कृद्धा सिन्हा का नाम अब उन नन्हें सितारों में शुमार हो चुका है, जो अपनी चमक से दुनिया को रौशन कर रहे हैं.
 

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