Chandrayaan-3 की लैंडिंग में अहम रोल निभाएगा झारखंड का आयुष...प्रिंसिपल से लेकर टीचर तक हर किसी ने बताया गर्व का पल, गांव में जश्न का माहौल

आज शाम चंद्रयान-3 की लैंडिंग है. इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की टीम में झारखंड के युवा वैज्ञानिक आयुष झा भी शामिल हैं. आयुष झा के जवाहर नवोदय विद्यालय के शिक्षक से लेकर बच्चे तक गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है की आयुष झा ने ना सिर्फ चंद्रयान मिशन तीन में शामिल हुए हैं.

Chandrayaan-3
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग है और इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की टीम में झारखंड के युवा वैज्ञानिक आयुष झा भी शामिल हैं. आयुष झा पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर शहर में पले-बढ़े हैं. आयुष झा ने इसी जिले से अपनी माध्यमिक शिक्षा हासिल की है. आयुष झा ने दसवीं तक की पढ़ाई पश्चिम सिंहभूम जिले के झिंकपानी में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की. आयुष झा के मिशन चंद्रयान-3 में बतौर इसरो वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. उनकी भूमिका चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग को लेकर अहम है. इसी को लेकर चक्रधरपुर चाईबासा सहित पूरे पश्चिम सिंहभूम जिले में लोग गर्व महसूस कर रहे हैं.

प्रिंसिपल ने कहा गर्व की बात
आयुष झा के जवाहर नवोदय विद्यालय के शिक्षक से लेकर बच्चे तक गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है की आयुष झा ने ना सिर्फ चंद्रयान मिशन तीन में शामिल हुए हैं बल्कि चंद्रयान मिशन दो में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है. प्रिंसिपल ने इसे स्कूल के लिए गर्व की बात कहा और आयुष झा के उज्जवल भविष्य की कामना की. उन्होंने आयुष झा से अपील भी की है की वे एक दिन स्कूल जरुर आयें ताकि बच्चों को उनसे प्रेरणा मिल सके.

स्कूल के सबसे होनहर बच्चों में से एक
स्कूल के भूगोल के शिक्षक विवेकानंद ओझा बताते हैं की आयुष झा स्कूल का सबसे होनहार बच्चों में से एक था. गणित और विज्ञान के विषयों में आयुष झा की काफी रूचि थी. यही नहीं स्पोर्ट्स में भी आयुष काफी अच्छा प्रदर्शन करता था. शिक्षक ने उम्मीद जगाई है की आनेवाले जितने भी स्पेस मिशन होंगे उसमें आयुष झा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और देश का परचम वो लहराते रहेंगे जिससे पश्चिम सिंहभूम जिले और चक्रधरपुर का नाम रौशन होता रहेगा.

पिता प्राइमरी स्कूल में टीचर
बता दें की इसरो वैज्ञानिक आयुष झा के पिता ललन कुमार झा चक्रधरपुर में प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे. मां विनीता झा गृहिणी महिला हैं. आयुष झा ने पश्चिमी सिंहभूम के जवाहर नवोदय विद्यालय से दसवीं करने के बाद डीएवी बिष्टुपुर से 12वीं पूरी की. जेईई में सफल होने के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम से ग्रेजुएशन किया. फिर 2016 में इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद में एक वैज्ञानिक के रूप में योगदान दिया. पहले बड़े प्रोजेक्ट की बात करें तो चंद्रयान-2 के रडार के विकास पर आयुष ने काम किया. और अब चंद्रयान-3 के रडार विकास के साथ उसकी लैंडिंग और रियूजेबल लॉन्च व्हीकल मिशन पर काम कर रहे हैं. आयुष अभी इस्ट्रैक बेंगलुरू में हैं, जहां सेटेलाइट लॉन्च होने के बाद सारा ऑपरेशन होता है.

शुरू से घर में था पढ़ाई का माहौल
आयुष के पिता ललन झा शिक्षक थे जिसके कारण घर में शुरू से ही पढ़ाई का माहौल रहा. लेकिन छोटे से शहर चक्रधरपुर में अंतरिक्ष विज्ञान को जानने-समझने का कोई माहौल नहीं था. आयुष के बड़े भाई अभिषेक झा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, तो उसने अपने छोटे भाई आयुष का मार्गदर्शन अन्तरिक्ष विज्ञान की ओर जाने के लिए किया. आईआईटी जेईई की तैयारी में गाइड किया, फिर वह केरल के स्पेस साइंस इंस्टीट्यूट में पढ़ने चला गया.

कहां से होती है मॉनिटरिंग
इसरो अहमदाबाद में रहने वाले आयुष चंद्रयान-3 की लैंडिंग ऑपरेशन के लिए पिछले महीने से बेंगलुरू में हैं. वे और उनकी पूरी टीम बेंगलुरु में चंद्रायन के लैंडिंग के काम में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. जिस लेंडर को चांद पर लैंड होना है, आयुष उसी से जुड़े हैं. उनके साथ पूरी टीम सारे सिस्टम पर नजर बनाए हुए है. बता दें की चंद्रयान प्रक्षेपण के बाद सारा काम बेंगलुरू के इसरो टेलेमेट्री, ट्रेकिंग एंड कमांड नेटवर्क में होता है, जहां जितने भी सेटेलाइट या चंद्रयान-मंगलयान आदि लॉन्च होते हैं. उसकी ट्रैकिंग व लैंडिंग की मॉनिटरिंग यही से की जाती है. इसका सारा कमांड यहीं से दिया जाता है. लैंडर को उतरते समय हाइट की सूचना चाहिए होती है, यह सूचना जो मैनेजमेंट सिस्टम डेवलप किए हैं, उसके द्वारा दे रहे हैं. उसमें ऐसे सेंसर लगे हैं जिससे एक-एक पल की जानकारी रडार अल्टीमीटर से ले रहे हैं, जिसकी डिजाइन आयुष व उनके टीम मेंबर्स ने की है.

(सत्यजीत कुमार की रिपोर्ट)

 

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