Privacy violation Laws India: छिपकर किसी की वीडियो बनाना, इंस्टाग्राम पर डालना... क्या यह अपराध है? जानिए क्या कहता है कानून और कैसे ले सकते हैं एक्शन!

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को निजता का अधिकार देता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में जस्टिस के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में प्राइवेसी को मौलिक अधिकार माना. इसका मतलब है कि बिना सहमति के किसी की तस्वीर लेना या उसे सार्वजनिक करना निजता का उल्लंघन हो सकता है. अगर कोई तस्वीर ऐसी है जो "शर्मनाक, मानसिक रूप से परेशान करने वाली" हो या व्यक्ति को "असुरक्षित" महसूस कराए, तो यह कानूनन अपराध है.

क्या करें अगर कोई बिना इजाज़त आपकी तस्वीर ले
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

आज के डिजिटल युग में, जहां हर कोई अपने स्मार्टफोन के साथ एक फोटोग्राफर बन गया है, प्राइवेसी एक बड़ा सवाल बनकर उभर रही है. हाल ही में बेंगलुरु मेट्रो में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां एक इंस्टाग्राम यूजर (@metro_chicks) ने बिना इजाजत महिलाओं की वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर पोस्ट की. इस घटना ने न सिर्फ लोगों को हैरान किया, बल्कि प्राइवेसी और कानूनी अधिकारों पर भी सवाल उठाए. अगर कोई आपकी तस्वीर या वीडियो बिना आपकी सहमति के लेता है, तो क्या करें? क्या भारतीय कानून इसका समर्थन करता है? क्या आप मुकदमा कर सकते हैं? 

बेंगलुरु मेट्रो केस में क्या हुआ 
20 मई 2025 को बेंगलुरु मेट्रो में एक शर्मनाक घटना ने सुर्खियां बटोरीं. एक इंस्टाग्राम अकाउंट, जिसका नाम था 'Bangalore Metro Clicks' (@metro_chicks), ने मेट्रो में सफर कर रही महिलाओं की चोरी-छिपे वीडियो बनाकर पोस्ट की. इस अकाउंट के 6,000 से ज्यादा फॉलोअर्स थे और इसके लिंक्ड टेलीग्राम चैनल 'Speedy_Weedy123' के 1,188 सब्सक्राइबर्स थे. इन वीडियो में महिलाओं को बिना उनकी जानकारी के रिकॉर्ड किया गया और कैप्शन में लिखा गया, "नम्मा मेट्रो में खूबसूरत लड़कियों की तलाश".

जब एक X यूजर ने इस अकाउंट को बेंगलुरु पुलिस को टैग करते हुए शिकायत की, तो मामला तेजी से वायरल हुआ. लोगों ने इसे प्राइवेसी का घोर उल्लंघन बताया. एक यूजर ने लिखा, "मैं रोज मेट्रो में सफर करती हूं, यह मेरे लिए डरावना है!" वहीं, बीजेपी सांसद पी.सी. मोहन ने इसे "न सिर्फ घिनौना, बल्कि गंभीर अपराध" करार दिया.

बेंगलुरु पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और बनशंकरी पुलिस स्टेशन में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित करना) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 78(2) (पीछा करना) के तहत मामला दर्ज किया. इसके बाद अकाउंट से सभी पोस्ट हटा दी गईं.

बिना सहमति के तस्वीर लेने पर क्या कहता है कानून? 
भारतीय कानून में प्राइवेसी को लेकर कई प्रावधान हैं, जो व्यक्ति की निजता की रक्षा करते हैं. आइए, समझते हैं:

1. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को निजता का अधिकार देता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में जस्टिस के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में प्राइवेसी को मौलिक अधिकार माना. इसका मतलब है कि बिना सहमति के किसी की तस्वीर लेना या उसे सार्वजनिक करना निजता का उल्लंघन हो सकता है. अगर कोई तस्वीर ऐसी है जो "शर्मनाक, मानसिक रूप से परेशान करने वाली" हो या व्यक्ति को "असुरक्षित" महसूस कराए, तो यह कानूनन अपराध है.

2. सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट, 2000 - धारा 66E और 67

  • धारा 66E: अगर कोई बिना सहमति के किसी व्यक्ति के निजी अंगों की तस्वीर लेता है या उसे प्रकाशित करता है, तो यह अपराध है. सजा: 3 साल तक की जेल या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों.
  • धारा 67: इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित करने या प्रसारित करने पर सजा. पहली बार अपराध करने पर 3 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना. दूसरी बार अपराध करने पर 5 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना.

बेंगलुरु मेट्रो केस में धारा 67 का इस्तेमाल हुआ, क्योंकि वीडियो को अश्लील और आपत्तिजनक माना गया.

3. भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 - धारा 77 और 78(2)

  • धारा 77 (वॉयरिज्म): किसी व्यक्ति को निजी काम (जैसे स्नान, शौच, या यौन गतिविधि) में बिना सहमति के देखना, रिकॉर्ड करना या शेयर करना वॉयरिज्म है. सजा: पहली बार में 1-3 साल की जेल और जुर्माना; दूसरी बार में 3-7 साल की जेल और जुर्माना.
  • धारा 78(2) (पीछा करना): अगर कोई बार-बार किसी का पीछा करता है या उसकी तस्वीर/वीडियो बनाकर परेशान करता है, तो यह अपराध है. बेंगलुरु मेट्रो केस में इस धारा का भी इस्तेमाल हुआ.

4. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) - धारा 354C और 509

  • धारा 354C (वॉयरिज्म): किसी महिला को निजी कार्य में रिकॉर्ड करना या तस्वीरें शेयर करना अपराध है, भले ही उसने तस्वीर लेने की सहमति दी हो, लेकिन शेयर करने की नहीं.
  • धारा 509: किसी महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाने या उसकी निजता में दखल देने की मंशा से की गई कोई हरकत (जैसे तस्वीर लेना) अपराध है. सजा: 1 साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों.

5. पॉक्सो एक्ट, 2012
बच्चों (18 साल से कम उम्र) के मामले में, बिना सहमति के तस्वीर लेना या शेयर करना पॉक्सो एक्ट की धारा 14 और 15 के तहत गंभीर अपराध है. यह विशेष रूप से तब लागू होता है जब तस्वीरें यौन प्रकृति की हों.

क्या आप मुकदमा कर सकते हैं?
हां, अगर कोई बिना आपकी सहमति के आपकी तस्वीर या वीडियो लेता है और उसे गलत तरीके से इस्तेमाल करता है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

1. सबूत जमा करें: सबसे पहले सबूत जमा करें. उससे जुड़े जो भी स्क्रीनशॉट, वीडियो, या पोस्ट के URL हैं उन्हें सहेजें. तारीख, समय, और स्थान नोट करें. अगर संभव हो, तो गवाहों की जानकारी रखें. इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शिकायत करें. इंस्टाग्राम, फेसबुक, या अन्य प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री को रिपोर्ट करें. बेंगलुरु मेट्रो केस में, X पर शिकायत के बाद इंस्टाग्राम ने तुरंत पोस्ट हटा दी.

2. पुलिस में शिकायत दर्ज करें: स्थानीय पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करें. साइबर क्राइम पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें. इसमें धारा 66E, 67 (आईटी एक्ट), धारा 77, 78(2) (बीएनएस), या धारा 354C, 509 (आईपीसी) का उल्लेख करें. अगर बच्चे शामिल हैं, तो पॉक्सो एक्ट का जिक्र करें.

3. कोर्ट में मुकदमा: आप निजता के उल्लंघन, मानहानि, या मानसिक उत्पीड़न के लिए सिविल या क्रिमिनल मुकदमा दायर कर सकते हैं. उदाहरण: सोनू निगम बनाम मिका सिंह मामले में, बिना सहमति के तस्वीरों के इस्तेमाल पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने 10 लाख रुपये का हर्जाना लगाया था.

बच्चों, वयस्कों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए नियम

  • बच्चों की तस्वीरें बिना अभिभावक की सहमति के लेना या शेयर करना गैरकानूनी है, खासकर अगर यह उनकी पहचान उजागर करता हो. पॉक्सो एक्ट और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के दिशानिर्देश बच्चों की प्राइवेसी की रक्षा करते हैं.
  • महिलाओं के मामले में, वॉयरिज्म (धारा 354C, 77) और मर्यादा हनन (धारा 509) के प्रावधान सख्त हैं. बेंगलुरु मेट्रो केस इसका उदाहरण है, जहां महिलाओं को निशाना बनाया गया.
  • किसी भी वयस्क या बुजुर्ग की तस्वीर बिना सहमति के लेना, खासकर निजी स्थानों पर, अनुच्छेद 21 के तहत निजता का उल्लंघन है. अगर तस्वीरें व्यावसायिक उपयोग के लिए हैं, तो सहमति अनिवार्य है.

क्या करें अगर कोई आपकी तस्वीर ले रहा हो?

सबसे पहले अगर आप किसी को अपनी तस्वीर लेते हुए देखें, तो विनम्रता से मना करें. अगर स्थिति असुरक्षित लगे, तो तुरंत पुलिस या मेट्रो स्टाफ को सूचित करें.किसी वकील से संपर्क करें और अपने अधिकारों को समझें. इसके अलावा, सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं. बेंगलुरु मेट्रो केस में X यूजर की पोस्ट ने पुलिस को कार्रवाई के लिए प्रेरित किया.

बेंगलुरु मेट्रो केस ने एक बार फिर साबित किया कि डिजिटल युग में प्राइवेसी कितनी नाजुक है. भारतीय कानून निजता की रक्षा के लिए कई प्रावधान देता है, लेकिन जागरूकता और त्वरित कार्रवाई जरूरी है. 
 

 

Read more!

RECOMMENDED