Expert Talk: क्या होती है ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी? कैसे बनाई जाती है और क्या है इसके हेल्थ रिस्क? एक्सपर्ट से जानिए

आजकल ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी का खूब ट्रेंड है. ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी में किसी व्यक्ति के खून की कुछ बूंदें लेकर उसे रेजिन या ट्रांसपेरेंट मटीरियल में सील कर दिया जाता है. कई लोग इसे भावनात्मक याद के रूप में बनवाते हैं.

Blood Preserved Jewelry
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली ,
  • 14 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST
  • ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी का बढ़ रहा ट्रेंड
  • क्या है इसके हेल्थ रिस्क

फैशन की दुनिया में हर दिन कोई न कोई नया ट्रेंड आता है. कभी डायमंड ज्वेलरी का क्रेज होता है तो कभी पर्सनलाइज़्ड गिफ्ट्स का. आजकल ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी का खूब ट्रेंड है. इसे लोग अपने रिश्तों की गहराई, इमोशनल बंधन या याद के प्रतीक के रूप में पहनते हैं. सोशल मीडिया पर कई कपल्स इस ट्रेंड को फॉलो करते नजर आ रहे हैं लेकिन क्या यह सच में सेफ है? क्या इसका कोई नकारात्मक प्रभाव भी है.

क्या है ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी?
ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी में किसी व्यक्ति का असली खून लिया जाता है और उसे रेजिन या ग्लास में सील कर दिया जाता है ताकि वह खराब न हो. इसे रिंग, पेंडेंट, ब्रेसलेट या ईयररिंग के रूप में बनाया जाता है. देखने में यह ज्वेलरी खूबसूरत और अनोखी लगती है, लेकिन इसका मेकिंग प्रोसेस और सेफ्टी बहुत जरूरी होती है.

इस ट्रेंड को लेकर GNT ने एलैंटिस हेल्थकेयर की स्किन स्पेशलिस्ट और एस्थेटिक फिजीशियन डॉ. चांदनी जैन गुप्ता से बात की. उन्होंने इस ट्रेंड से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब दिए.

क्या ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी पहनना सुरक्षित है?
डॉ. चांदनी जैन गुप्ता बताती हैं, ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी फैशन के लिहाज से अनोखी है, लेकिन यह बायोलॉजिकल मटेरियल से बनी होती है. अगर सही तरीके से सील नहीं किया गया तो यह धीरे-धीरे सड़ सकती है. सही स्टेरलाइजेशन और प्रिजर्वेशन तकनीक से बनाई जाए तो इसमें संक्रमण या किसी खतरे की संभावना बेहद कम रहती है. सही प्रक्रिया अपनाने पर यह ज्वेलरी नुकसानदायक नहीं होती, लेकिन अगर सावधानी न बरती जाए तो कई तरह की दिक्कतें सामने आ सकती हैं.

कैसे बनाई जाती है यह ज्वेलरी?
सबसे पहले किसी व्यक्ति का कुछ बूंद खून लिया जाता है. फिर उसे विशेष केमिकल्स और फ्रीजिंग तकनीक के जरिए प्रिजर्व किया जाता है ताकि वह खराब न हो. बाद में उसे रेजिन या ग्लास में सील करके डिजाइन के मुताबिक ढाला जाता है.

डॉ. चांदनी बताती हैं, यह प्रक्रिया दिखने में आसान लग सकती है, लेकिन इसमें स्ट्रिक्ट हाइजीन और सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन जरूरी होता है. अगर यह किसी अनट्रेंड व्यक्ति या बिना स्टेराइल वातावरण में तैयार की जाती है, तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

इंफेक्शन का खतरा: अगर खून को सही तरीके से स्टेरलाइज नहीं किया गया, तो उसमें मौजूद बैक्टीरिया या वायरस एक्टिव रह सकते हैं. यह संपर्क में आने पर संक्रमण फैला सकते हैं.

स्किन एलर्जी और इरिटेशन: अगर रेजिन या प्रिजर्वेशन में इस्तेमाल केमिकल्स अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं या ठीक से सीलिंग नहीं हुई है, तो इससे स्किन पर खुजली, लालपन या रैशेज हो सकते हैं. सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को इससे एलर्जी की संभावना ज्यादा होती है. बेहतर है कि ऐसी ज्वेलरी हाइपोएलर्जेनिक मटेरियल से बने और इसे पहनने से पहले डर्मेटोलॉजिकल टेस्टिंग जरूर करवाई जाए.

लंबे समय तक पहनने का रिस्क: अगर ज्वेलरी लंबे समय तक शरीर के संपर्क में रहती है, खासतौर पर नमी वाले हिस्से में तो बैक्टीरियल ग्रोथ का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए ऐसी ज्वेलरी को नियमित रूप से साफ रखना बेहद जरूरी है.

बायो-वेस्ट का खतरा: खून एक बायोलॉजिकल फ्लूइड है. इसे किसी भी सामान्य तरीके से हैंडल नहीं किया जा सकता. गलत हैंडलिंग या डिस्पोजल से यह बायो-हैजार्ड बन सकता है, जिससे न सिर्फ पहनने वाले बल्कि निर्माता के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है.

क्या ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी के लिए किसी कानूनी या स्वास्थ्य नियमों का पालन जरूरी है?
ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी के लिए फिलहाल भारत सहित ज्यादातर देशों में कोई स्पेसिफिक लीगल गाइडलाइन नहीं है. हालांकि, ह्यूमन बायोलॉजिकल मटेरियल के इस्तेमाल पर बायोसेफ्टी और एथिकल रूल्स लागू होते हैं.

डॉ. चांदनी बताती हैं, खून से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया में नैतिकता और सुरक्षा दोनों जरूरी हैं. ज्वेलरी निर्माता को यह समझ होनी चाहिए कि वे किसी तरह बायोमेडिकल वेस्ट, हेल्थ या सेफ्टी लॉ का उल्लंघन न करें. वहीं कस्टमर की भी जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि प्रोडक्ट हाइजीन और बायो-सुरक्षा मानकों पर खरा उतरता है.

क्या अपनाना चाहिए यह ट्रेंड?
ब्लड प्रिजर्व्ड ज्वेलरी देखने में आकर्षक और इमोशनल हो सकती है, लेकिन इसे अपनाने से पहले सेहत और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए. अगर इसे बनवाना ही है, तो सुनिश्चित करें कि यह किसी प्रमाणित और अच्छे लैब में बने, जहां सही स्टेरलाइजेशन, प्रिजर्वेशन और हाइजीन मेथड फॉलो किए जाते हों.

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