किसी कॉलेज की पहचान क्या हो सकती है? सोचिए ज़रा. कॉलेज की लाइब्रेरी...कैंटीन या कोई और बात !! पर बनारस का यूपी कॉलेज इस मामले में जुदा है. इस कॉलेज की पहचान लाल पेड़ा है. 110 साल से लाल पेड़े की मिठास इस शिक्षण संस्थान के छात्रों के दिमाग में ही नहीं घुली बल्कि उनके दिल में भी बस चुकी है. पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह से लेकर साहित्यकार केदारनाथ सिंह तक जहां से पढ़ाई कर चुके हैं, इस कॉलेज की पहचान है लाल पेड़ा.
वाराणसी की हर बात निराली है. शहर के कोने कोने में ऐसी बातें दर्ज़ हैं जो इस शहर को दुनिया भर के दूसरे शहरों से अलग करती हैं. यहीं है उदय प्रताप कॉलेज...यानी यूपी कॉलेज. 113 साल से काशी में छात्रों को शिक्षा और खेलकूद से संवारने वाला एक ऐसा शिक्षण संस्थान जहां पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, अर्जुन सिंह, साहित्यकार केदारनाथ सिंह, नामवर सिंह से लेकर हॉकी खिलाड़ी विवेक सिंह, मोहम्मद शाहिद तक ने शिक्षा ग्रहण की.
यहां की पहचान है लाल पेड़ा. सुनने में शायद अजीब लगे पर लाल पेड़े की एक दुकान 110 साल से कॉलेज कैम्पस में ही मौजूद है. यहां लाल पेड़े के अलावा दूसरी मिठाइयां भी तैयार की जाती हैं और कॉलेज के छात्र उनको एक शताब्दी से ज़्यादा समय से चाव से खाते रहे हैं.
ये है दुकान खुलने की कहानी
ये बात लोगों को अजीब लग सकती है. पर 1909 में ये शिक्षण संस्थान शुरू होने के ठीक 2 साल बाद ही यानी 1911 में कैम्पस में छात्रों के लिए मिठाई की दुकान खुल गई. उस समय राजा महाराजा के बच्चे इस कॉलेज में पढ़ने आते थे. उनको स्वास्थ्यवर्धक मिठाइयां मिलें और घर की कमी भी न महसूस हो इसलिए यहां लाल पेड़े बनने शुरू हुए. फिर क्या था लाल पेड़े ने यहां के छात्रों का साथ कभी नहीं छोड़ा. रोज़ की बात हो या कोई ख़ास मौक़ा, कोई पर्व हो या छात्रसंघ चुनाव में जीत. सब कुछ इसी लाल पेड़े के साथ बीता. पुराने छात्रों को आज भी इन मिठाइयों का ऐसा स्वाद याद है कि ये उनको पुराने दिनों की याद दिलाती है और कॉलेज की सबसे ख़ास बात लगती है.
उदय प्रताप कॉलेज में वक्त के साथ सब कुछ बदला है् पर आज भी लाल पेड़े का स्वाद वही है. आज भी हॉस्टल के छात्रों को सुबह जलेबी दी जाती है तो नाश्ते में नमकीन के साथ चमचम, गुलाब जामुन जैसी मिठाइयां. और इसका पूरा मेन्यू फ़िक्स है.
यहां लाल पेड़े की इस दुकान का संचालन कोआपरेटिव के माध्यम से होता है. पुराने छात्र आज भी यहां आते हैं तो साथ लाल पेड़ा लेकर जाते हैं. छात्राएं कहती हैं कि जब वो अपने घर जाती हैं तो घर के लोग उनसे यूपी कॉलेज का लाल पेड़ा मंगवाते हैं.
काशी की अपनी विशिष्टताओं में यूपी कॉलेज के ये लाल पेड़े भी शामिल हैं. जो ये बताते हैं कि छात्रों की सेहत को लेकर शुरू की गई एक पहल कैसे एक कॉलेज का सबसे ज़रूरी हिस्सा बन गई.