15 साल पहले सड़क हादसे में हुआ स्पाइन इंजरी, 11 साल तक पड़ी रही बेड पर... जीने के जज्बे ने बनाया देश की पहली व्हीलचेयर डिलवरी गर्ल

जिंदगी में कुछ लोग स्वस्थ होने पर भी नाकामयाबी के लिए किस्मत को कोसते हैं. ऐसे लाखों लोगों के लिए चंडीगढ़ की 'डिलीवरी गर्ल' विद्या एक जिंदा मिसाल है. कहते है ना मंजिले उन्ही को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. विद्या के जीने के जज्बे और जुनून ने उन्हें देश की पहली व्हीलचेयर स्विगी डिलवरी गर्ल बन गई है.

Wheelchair Delivery Girl Vidya
ललित शर्मा
  • चंडीगढ़,
  • 12 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST
  • सड़क हादसे में स्पाइन इंजरी के कारण शरीर के निचला हिस्सा काम करना कर दिया बंद
  • रिश्तेदारों ने कहा जहर दे दो, कम से कम इसे इस तकलीफ से तो छुटकारा मिलेगा

स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ की सड़कों पर सरपट व्हीलचेयर पर दौड़ती आम सी लड़की बिल्कुल अलग और "खास" है. 30 साल की विद्या जिनके जज्बे हिम्मत हौसले, पहाड़ जैसे अडिग और ऊँचे है. 15 साल पहले एक सड़क हादसे में स्पाइन इंजरी के कारण शरीर के निचले हिस्से में पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया था. लगभग 11 साल वह बेड पर पड़ी हुई थी. फिर उन्होंने अपने गुजारे के लिए हिम्मत और हौसला नहीं हारा.

सड़क हादसे में हो गई थी स्पाइन इंजरी
विद्या ने गुड न्यूज टुडे से बात करते हुए बताया कि उन्हें भगवान पर पूरा यकीन था कि अगर उन्हें जिंदा रखा है तो उसके पीछे जरूर कोई मकसद होगा. विद्या आगे बताती हैं कि भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं. विद्या के जीने के जज्बे और जुनून ने उन्हें देश की पहली व्हीलचेयर स्विगी डिलवरी गर्ल बनाया है. विद्या बताती हैं कि वह गांव में साइकिल चलाते हुए वर्ष 2007 में एक पुल पर बैलेंस बिगड़ने की वजह से वह पुल के नीचे गिर गई. होश आई तो मैं अस्पताल में थी, डाक्टरों ने बताकि कि अब मैं कभी भी सीधे खड़ी नहीं हो पाऊंगी. मां -बाप ने मेरे ईलाज के लिए खूब दौड़-भाग की, लेकिन किसी डाक्टर ने उन्हें यह भरोसा नहीं दिया कि मैं फिर से चल फिर सकूंगी. वक्त के साथ उनकी हिम्मत ने भी जवाब दे दिया और मेरे लिए मेरा बिस्तर ही मेरी दुनिया हो गई.

11 साल तक पड़ी रही बिस्तर पर
चोट लगने के बाद में 11वर्ष तक बिस्तर पर पड़ी रही. जो लोग व रिश्तेदार मेरा हाल चाल लेने आते थे. वह मेरे सामने ही मां पिता से कहते थे कि इसे जहर दे दो, कम से कम इसे इस तकलीफ से तो छुटकारा मिलेगा. पूरी उम्र कैसे काटेगी. सोए -सोए मुझे पीठ पर घाव हो गए, मैं खुद ईश्वर से कुछ इसी तरह की प्रार्थना करती थी. विद्या बताती हैं कि जैसे ही मैंने नौकरी शुरू करने की बात अपने माता पिता को बताई तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. वह खुश हैं कि आज मैं काम कर रही हूं. जब मैं अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटी पर डिलवरी करने जाती हूं तो सब लोग मुझे स्पोर्ट करते हैं, कई लोग तो रूक कर मुझसे बात भी करते हैं.

टेबल टेनिस की रह चुकी हैं नेशनल खिलाड़ी
विद्या ने आगे बताया कि चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैव सेंटर को जब मेरे बारे में पता चला तो उन्होंने मेरे परिवार से संपर्क किया, वर्ष 2017 में मैं चंडीगढ़ आ गई. मैंने स्पोर्ट्स ज्वाइन किया और फिर बास्केट बाल, स्विमिंग, लान टेनिस और टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया. मैंने स्कूबा डाइविंग और फैशन शो में हिस्सा लिया. इसके अलावा मैं अपने सेंटर में भी सभी को योग सिखाती हूं. टेबल टेनिस की नेशनल खिलाड़ी हूं, लेकिन कोचिंग की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से मैं इस खेल में आगे नहीं बढ़ पा रही हूं. मैंने व्हीलचेयर ओपन नेशनल टेबल टेनिस टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीते हैं. 

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