Desi Liquor vs English Liquor: देसी शराब और अंग्रेजी शराब, दोनों में क्या है अंतर... इस एक वजह से होती है महंगी

Desi Liquor vs English Liquor: देसी और अंग्रेजी शराब की मेकिंग में कोई खास फर्क नहीं होता. इन दोनों को बनाने का तरीका लगभग एक जैसा होता है. देसी शराब एक तरह से प्यूरिफाइड स्पिरिट या डिस्टिल्ड होती है. आपको ये जानकार हैरान होगी कि देसी शराब बनाने वाली कंपनियां ही ये स्प्रिट अंग्रेजी शराब बनाने वाली कंपनियों को भेजती है.

अंग्रेजी शराब और देशी शराब में फर्क
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

Difference Between Desi Liquor or English Liquor: शराब का नाम सामने आते ही अलग-अलग ब्रांड के नाम सामने आ जाते हैं. शराब पीने वालों ने देसी शराब और अंग्रेजी शराब दोनों का नाम तो आपने खूब सुना होगा. अगर जिन लोगों की शराब पीने की आदत है, वो देसी शराब पीना पसंद नहीं करते हैं, जबकि अंग्रेजी शराब पीना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आपको दोनों में फर्क पता है? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं.

देसी और अंग्रेजी शराब की मेकिंग में कोई खास फर्क नहीं होता. इन दोनों को बनाने का तरीका लगभग एक जैसा होता है. देसी शराब एक तरह से प्यूरिफाइड स्पिरिट या डिस्टिल्ड होती है. आपको ये जानकार हैरान होगी कि देसी शराब बनाने वाली कंपनियां ही ये स्प्रिट अंग्रेजी शराब बनाने वाली कंपनियों को भेजती है. देसी और अंग्रेजी शराब में स्वाद का अंतर मुख्य है. इस खरीदी गई स्पिरिट में बाद फ्लेवर मिलाकर अंग्रेजी शराब तैयार की जाती है. देसी शराब में किसी फ्लेवर का प्रयोग नहीं किया जाता है. इसलिए इसका स्वाद और गंध उसी मूल सामग्री का होता है जिससे यह बनी है.

हैरानी की बात है कि दोनों को मेकिंग प्रोसेस एक ही है फिर भी दोनों के दामों में जमीन-आसमान का फर्क है. लेकिन ऐसा क्यों? चलिए आपको बताते हैं.

उत्पादन लागत
देसी शराब और अंग्रेजी शराब दोनों मूल रूप से एक ही स्पिरिट बेस से बनती हैं, लेकिन कीमत का अंतर अंतिम गुणवत्ता और प्रोसेसिंग की वजह से आता है. देसी शराब अक्सर सिंगल डिस्टिल्ड होती है और इसका उत्पादन कम लागत वाले शीरे होता है और इसमें अशुद्धियां (Impurities) अधिक हो सकती हैं, जिससे लागत कम रहती है. वहीं अगर अंग्रेजी शराब की बात करें तो इसमें इस्तेमाल की जाने वाली स्पिरिट को उच्च स्तर तक शुद्ध किया जाता है और अक्सर कई बार डिस्टिल किया जाता है. इसके अलावा, स्वाद, गंध और रंग को बेहतर बनाने के लिए महंगे फ्लेवर, एडिटिव्स और ब्लेंडिंग सामग्री मिलाई जाती है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है.

पैकिंग और ब्रांडिंग
कीमत में बड़े अंतर की वजह पैकिंग और ब्रांडिंग पर होने वाला खर्च भी है. देसी शराब की पैकिंग बहुत साधारण और सस्ती होती है, जैसे पॉलिथीन पाउच या प्लास्टिक की बोतलें. इसमें मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर शून्य या बहुत कम खर्च होता है. अंग्रेजी शराब के लिए उच्च गुणवत्ता वाली कांच की बोतलें, आकर्षक लेबलिंग, सील और बेहतर कॉर्क का उपयोग होता है, जिसकी लागत अधिक होती है.

भारत में शराब की कीमतों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक राज्य-स्तरीय टैक्स सिस्टम है. राज्य सरकार में अक्सर अंग्रेजी शराब पर देसी शराब की तुलना में बहुत अधिक एक्साइज ड्यूटी और अन्य शुल्क लगाती हैं. 

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