पुराने जमाने के लोग तरह -तरह की कहावतें कहते थे. ये कहावत आज भी इस्तेमाल किए जाते हैं. ऐसी ही एक कहावत है कि इंसान के पास दो नहीं तीन आंखें होती हैं. इसके अलावा कई यूरोपिय कहानियों में मनुष्य की तीसरी आंख का जिक्र किया गया है.
ये है तीसरी आंख का कॉन्सेप्ट?
इंसान के शरीर में अलग-अलग ग्लैंड होते हैं, उनमें से कुछ ग्लैंड इंसान के दीमाग में मौजूद होते हैं. पीनियल ग्लैंड इन्हीं ग्लैंड में से एक ग्लैंड होता है. इस ग्रंथि से सेरोटोनिन से निकला हुआ मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होता है. यही हार्मोन हमारे सोने-जागने और एक्टिवनेस को भी कंट्रोल करता है.
क्या हो अगर इंसान इस ग्लैंड का पूरा इस्तेमाल कर ले
ये ग्लैंड इंसानी जीवन और स्पिरिचुअल जीवन को जोड़ता है . इसलिए जब ये ग्लैंड एक्टिव होते हैं तब इंसान बहुत ज्यादा खुश हो जाता है. लेकिन बाकी ग्लैंड के मुकाबले इंसान इस ग्लैंड का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. जब भी ये ग्लैंड एक्टिव होता है तब इंसानी दिमाग में एक अलग तरह की फुर्ती आ जाती है.
योग और मेडिटेशन में मददगार हैं ये ग्लैंड
अगर कोई इंसान के दिमाग में ये ग्लैंड एक्टिव हो जाता है तो उसकी दिलचस्पी योग और मेडिटेशन में बढ़ जाती है.
आंखों की तरह ही होता है पीनियल ग्लैंड
इंसान की आंखों की तरह इस ग्लैंड में भी रॉड और कॉन्स होते हैं. इस वजह से इस ग्लैंड में भी रौशनी आर -पार होती है. इससे निकलने वाला मेलाटोनिन हार्मोन शरीर को रोशनी के प्रति एक्टिव करता है.
माइथॉलजी क्या कहती है इंसान की तीसरी आंख के बारे में
माइथॉलजी के मुताबिक इंसानी भ्रूण में ये ग्लैंड 49 दिनों के बाद बनना शुरू होता है. वहीं तिब्बत के बौद्ध धर्म के लोग यह मानते हैं कि 49 दिनों में इंसान की आत्मा एक शरीर को छोड़ कर दूसरे शरीर में जाती है. मॉर्डन वैज्ञानिकों का ये दावा है कि पुराना अंग कई बार खत्म होते-होते पीनियल ग्लैंड का रूप बन जाता है.
जानवरों में भी पाया जाता है ये ग्लैंड-
ये ग्लैंड इसानों के अलावा रेंगने वाले जानवरों में भी पाया जाता है. बता दें कि कुछ जानवरों कें पीनियल ग्लैंड में आंख की तरह कॉर्निया, लेंस और रेटीना भी पाया जाता है. हालांकि यह ग्लैंड आंखों से काफी अलग होता है क्योंकि यह खोपड़ी के नीचे मौजूद होता है, इस ग्लैंड की मदद से जानवर दिन और रात के बीच का अंतर समझ पता कर पाते हैं. इस ग्रंथि की मदद से ही जानवरों को सीजन बदलने का पता चलता है.
भगवान शिव की भी है तीसरी आंख
हिंदू सभ्यता के मुताबिक भगवान शिव की तीसरी आंख देखने को मिलती है. वहीं इजिप्ट की सभ्यता में भी दो सांपों को पाइन कोन पर मिलते हुए दिखाया गया है. जिसे सर्प की तीसरी आंख करार दिया गया है. मैक्सिको देश के भगवान चिकोमेकोआती भी हाथ में पाइन कोन लेकर खड़े हैं. माना ये भी जाता है कि पहले पूंछ की तरह ही इंसानों में भी तीसरी आंख पाई जाती थी. और मानव शरीर में आए बदलाव के बाद तीसरी आंख लुप्त हो गयी जो अब ग्लैंड के रूप में नजर आती है.