Inspirational: प्रशासन से लगाते रहे गुहार... किसी ने नहीं सुनी तो महिलाओं ने पुल बनाने की ठानी ताकि न रुके 250 बच्चों की पढ़ाई

नदी पर पुल न बनने से ग्रामीणों को बहुत सी परेशानियां होती हैं. पिछले लंबे समय से ग्रामीण पुल बनाने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन प्रशासन ने कोई काम नहीं किया तो यहां महिलाओं ने कमान संभाली है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में बिंदकी तहसील के देवमई विकास खंड के अंतर्गत आने वाले कृपालपुर गांव की. इस गांव में आजकल जो हो रहा है वह लोगों के लिए मिसाल से कम नहीं है. दरअसल, यह गांव रिंद नदी के किनारे बसा है. नदी पर पुल न बनने से ग्रामीणों को बहुत सी परेशानियां होती हैं. पिछले लंबे समय से ग्रामीण पुल बनाने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन प्रशासन ने कोई कार्यवाई नहीं की तो यहां महिलाओं ने कमान संभाली है. 

कुछ समय पहले यहां पर गांव की दो महिलाओं, कलावती और सीमा ने नदी पार आने-जाने को आसान बनाने के लिए लकड़ी का अस्थायी पुल बनाने का काम शुरू किया है. इन दो महिलाओं के इस काम को देखकर आसपास के ग्रामीणों ने भी मदद करना शुरू किया. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, गांववाले लगभग 20 साल से सांसदों व विधायकों से पुल की मांग कर रहे थे लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें और कुछ नहीं मिला. 

बच्चों के लिए किया फैसला 
कलावती और सीमा देवी ने गांव के बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखकर फैसला किया कि वे खुद पुल बनाएंगी. गांव के करीब 250 बच्चों को पढ़ने के लिए नदी पार करके जाना पड़ता है. बच्चों की परेशानी को देखकर इन दो महिलाओं ने गांववालों के सामने पुल बनाने की मांग रखी. बच्चों की शिक्षा के अलावा, लोगों को इलाज व हाट-बाजार जाने के लिए भी परेशान होना पड़ता है. 

सीमा और कलावती ने पहले गांव की महिलाओं का जुटाकर उनके सामने बांस-बल्लियों से नदी पर लकड़ी का पुल बनाने की बात रखी. उनकी जिद पर धीरे-धीरे बांस-बल्लियों जुटाई जाने लगीं और नदी पर पुल बनाना शुरू किया. उनके हौसले को देख दूसरे ग्रामीण जुटने लगे और धीरे-धीरे ग्रामीणों के सहयोग से अब अस्थाई पुल बनकर तैयार हो रहा है.

नाव के सहारे जाते हैं नदी पार
गांव के लोगों को नदी पार कर बाजार-हाट, इलाज के लिए अस्पताल, स्कूल आदि के लिए बकेवर कस्बे आना-जाना पड़ता है. सिर्फ नाव ही हमारा सहारा है. अब लोग परेशान होकर लकड़ी का पुल बना रहे हैं. फिलहाल सिर्फ एक ही नाव चलती है और लोगों से मनमानी पैसा लिया जाता है. ऐसे में पुल भले ही अस्थाई हो लेकिन रोज पैसे बचेंगे. पुल के निर्माण में करीब 60-70 हजार रुपये अभी तक खर्च हो चुके हैं लेकिन ग्रामीण काम पूरा करने में जुटे हैं. इस पुल के बनने से लगभग दर्जनभर से ज्यादा गांवों के लोगों के आने-जाने का रास्ता आसान हो जाएगा. 

 

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