Students Rescued Pregnant Teachers: बारिश और बाढ़ के बीच कॉलेज के छात्रों ने किया दो प्रेग्नेंट टीचर्स का रेस्क्यू, कंधों पर उठाकर पहुंचाया सुरक्षित जगह

मंडी इलाके में हुई बारिश ने यहां जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था. दोनों टीचर्स की डिलीवरी की तारीख नजदीक थी, अगर वे फंसी रहती तो मुश्किल हो सकती थी.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 16 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST

हिमाचल प्रदेश में मनाली के थुनाग में कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्टरी के छात्रों ने पैदल 11 किमी ट्रेक करते हुए दो प्रेग्नेंट टीचर्स,डॉ. नेहा ठाकुर और डॉ. सरिता को अपने कंधों पर उठाकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया. इलाके में हुई बारिश ने यहां जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था. दोनों टीचर्स की डिलीवरी की तारीख नजदीक थी, अगर वे फंसी रहती तो मुश्किल हो सकती थी.  

बारिश से हुई क्या तबाही?   
हाल ही में, भारी बारिश के कारण मंडी के सेराज इलाके में हालात बिगड़ गए. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सड़कों की हालत बेहद खराब हो गई, पानी और बिजली की सप्लाई रुक गई, 115 घर और 100 दुकानों को नुकसान पहुंचा. थुनाग क्षेत्र में पांच लोगों की जान गई.

कैसे किया गया टीचर्स को रेस्क्यू?
सड़कों की खस्ता हालत के कारण एम्बुलेंस या मेडिकल मदद इस इलाके में नहीं पहुंच सकती थीं. ऐसे मुश्किल हालात में कॉलेज के छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स ने खुद मोर्चा संभाला. उन्होंने स्थानीय संसाधनों से अस्थायी स्ट्रेचर तैयार किया. टीचर्स को स्ट्रेचर पर बैठाकर अपने कंधों पर उठाया. थुनाग से बगस्याड़ तक 11 किलोमीटर का पैदल सफर किया.इस दौरान उन्होंने खतरनाक पहाड़ी रास्तों और उफनती नदियों को पार किया. 

किन-किन छात्रों ने उठाया बीड़ा?
इस साहसिक काम को करने में कॉलेज के छात्र, प्रीक्षित वर्मा, शिवांग, तुषार ठाकुर, उदय ठाकुर, दीपक ठाकुर, आर्यन, विनीत, आर्यन अत्री, आयुष्मान और अन्य शामिल थे. उन्होंने न सिर्फ स्ट्रेचर को अपने कंधों पर उठाया, बल्कि रा्स्ते में मुश्किलों के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया और दोनों शिक्षिकाओं को सही-सलामत अस्पताल तक पहुंचाया.  

कब हुई टीचर्स की डिलीवरी?
डॉ. नेहा ठाकुर ने 8 जुलाई को मंडी के सिविल अस्पताल में एक लड़के को जन्म दिया. वहीं, डॉ. सरिता ने 12 जुलाई को हमीरपुर के साईं अस्पताल में बेटी को जन्म दिया. 

अगर कॉलेज के छात्रों ने यह हिम्मत नहीं दिखाई होती तो दोनों टीचर्स के लिए बहुत मुश्किल हो सकती थी. आज हर कोई कॉलेज के छात्रों और टीचर्स की तारीफ कर रहा है.

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