Shirdi Sai: साई के भक्त ने चढ़ाया एक करोड़ से ज्यादा का हार, ट्रस्ट से की विनती नाम न करें उजागर

साईबाबा पुण्यतिथि पर साई मूर्ति को पहनाया गया बेशकीमती पत्थरोसे लैस सोने का नक्काशीदार हार.

Sai Baba
gnttv.com
  • शिरडी,
  • 05 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

शिरडी साईबाबा मंदिर को साईबाबा पुण्यतिथि उत्सव के पावन पर्व पर आंध्रप्रदेश के एक भक्त ने 1.2 करोड़ रुपए का बेश कीमती पत्थर से लैस सोने का हार अर्पण किया. सोने का वजन 1 किलो 74 ग्राम है. मध्यान्ह आरती के बाद यह नक्काशीदार हार साई मूर्ति को पहनाया गया. भक्त ने अपना नाम उजागर न करने की विनती साईबाबा मंदिर ट्रस्ट से की.

क्या बोले ट्रस्ट के लोग?
साईबाबा मंदिर ट्रस्ट शिरडी के सीईओ, गोरक्ष गाडीलकर, ने बताया कि आज आंध्र प्रदेश के एक भक्त ने बाबा को एक सुंदर, सोने का हार पहनाया है. उसका वजन 1 किलो 74 ग्राम और कीमत 1.2 करोड़ रुपए है.

भक्त ने अपना नाम गुप्त रखने को विनती की है. दोपहर के आरती के बाद यह हार बाबा को पहनाया गया. इसके बाद फेस्टिवल के समय, आरती समय, यह हार बाबा को पहनाएंगे. 

श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा
श्री साईबाबा ने अपनी पूरी जिंदगी बड़ी सादगी से बिताकर हर एक भक्त का दुख दर्द मिटाया. साई के दर पे आए हर एक किसी मुराद पूरी होती है. अपनी मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु साईबाबा के खजाने में सोना, चांदी, रुपये भर भर के अर्पण करते है.

साईबाबा नन्दिर ट्रस्ट भी साईबाबा के राह पर चलते हुए, साई दरबार मे आने वाले भक्तों को मुफ्त में भोजन प्रसाद, मरीजों पर इलाज, और शिक्षा पर सालाना अरबो रुपये खर्च करता है.

कौन हैं साईबाबा?

साईबाबा एक ऐसे महान संत और आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने मानवता, प्रेम और एकता का संदेश दिया. उनका जन्मस्थान और असली नाम आज भी रहस्य है, लेकिन माना जाता है कि वे 19वीं सदी के मध्य में महाराष्ट्र के शिरडी गांव में आए और वहीं जीवनभर लोगों की सेवा की. साईबाबा ने जाति, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर सभी को एक ईश्वर में विश्वास रखने की शिक्षा दी. उनका प्रसिद्ध उपदेश था  “सबका मालिक एक”, जिसका अर्थ है कि सभी धर्मों का आधार एक ही परमात्मा है. 

वे अपने चमत्कारों, दया, और साधारण जीवनशैली के लिए जाने जाते थे. उन्होंने लोगों को श्रद्धा और सबूरी यानी विश्वास और धैर्य रखने की सीख दी. साईबाबा ने जरूरतमंदों की मदद की, बीमारों को ठीक किया और लोगों को अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. आज शिरडी में स्थित उनका मंदिर विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जहां लाखों भक्त हर साल उनके दर्शन करने आते हैं. साईबाबा को हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही संप्रदायों के लोग समान रूप से पूजते हैं, और उन्हें करुणा, सेवा और प्रेम का प्रतीक माना जाता है.

-नितिन मिराणे की रिपोर्ट

Read more!

RECOMMENDED