नेत्रहीनों लिए अब 1300 रेलवे स्टेशनों पर ब्रेल लिपि में मौजूद होगी जानकारी

2023 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में कुल 26.8 मिलियन दिव्यांग लोग हैं, जिनमें से लगभग 4.5 मिलियन दृष्टिबाधित हैं.

Railway Station
gnttv.com
  • प्रयागराज,
  • 24 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

आमतौर पर रेलवे स्टेशन पर यात्री पूछताछ केंद्र से जानकारी लेते हैं. लेकिन जिन यात्रियों को बोलने या देखने में कठिनाई होती है और जो केवल स्पर्श के माध्यम से चीज़ों को समझते हैं, उनके लिए यह आसान नहीं होता. इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने अब स्टेशनों पर ब्रेल लिपि की सुविधा उपलब्ध कराई है. इससे दिव्यांग यात्री स्पर्श के ज़रिए जरूरी जानकारी ले सकेंगे.

अब नहीं होगी रास्ता ढूंढने में परेशानी
कमज़ोर दृष्टि या दृष्टिबाधित होने के कारण अक्सर यात्रियों को प्लेटफ़ॉर्म या कोच ढूंढने में बहुत परेशानी होती है. लेकिन अब यह समस्या दूर हो जाएगी. देशभर के लगभग 1,300 अमृत भारत रेलवे स्टेशनों पर ब्रेल लिपि की सुविधा शुरू की गई है. इसमें उत्तर मध्य रेलवे के 46 स्टेशन भी शामिल हैं. यह पहल दिव्यांग यात्रियों को स्टेशन पर आसानी से घूमने-फिरने में मदद करेगी.

भारत में दिव्यांग यात्रियों की संख्या
2023 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में कुल 26.8 मिलियन दिव्यांग लोग हैं, जिनमें से लगभग 4.5 मिलियन दृष्टिबाधित हैं. वर्ष 2024-25 में भारतीय रेलवे में 7.15 बिलियन यात्री यात्रा कर चुके हैं. इसमें दिव्यांगों की हिस्सेदारी करीब 1-2% (70-140 लाख) मानी जाती है.

ब्रेल लिपि क्या है और कैसे काम करती है

  • ब्रेल लिपि नेत्रहीनों या कम दृष्टिवालों के लिए पढ़ने-लिखने की विशेष विधि है. इसमें छोटे-छोटे उभरे हुए बिंदु होते हैं जिन्हें छूकर महसूस किया जाता है.
  • एक ब्रेल सेल में छह बिंदु होते हैं, जो दो स्तंभों और तीन-तीन पंक्तियों में व्यवस्थित होते हैं.
  • इन बिंदुओं के संयोजन से अक्षर, संख्याएं और चिन्ह बनाए जाते हैं.
  • ब्रेल लिपि का आविष्कार फ्रांस के लुई ब्रेल ने 1824 में किया था.
  • भारत में इसे भारतीय ब्रेल कहा जाता है, जो भारतीय भाषाओं के लिए अनुकूलित है.

स्टेशन पर क्या सुविधाएं मिलेंगी

  • रेलवे स्टेशनों पर ब्रेल लिपि के साथ कई नई सुविधाएं जोड़ी जाएंगी:
  • ब्रेल नेविगेशन मानचित्र – यात्री स्पर्श से प्लेटफ़ॉर्म नंबर, कोच की स्थिति और शौचालय की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.
  • स्पर्शनीय टाइलें – पैरों के नीचे महसूस होने वाली टाइलें, जो सही दिशा (सीढ़ियों, दरवाजों, लिफ्ट, एस्केलेटर आदि) तक पहुंचने में मदद करेंगी.
  • साइनबोर्ड और चिह्न – प्रतीक्षालय, शौचालय और ओवरब्रिज जैसी जगहों पर भी ये सुविधा उपलब्ध होगी.

‘सुगम्य भारत अभियान’ का हिस्सा
सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि यह पहल ‘सुगम्य भारत अभियान’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दिव्यांग लोगों को मुख्यधारा से जोड़ना है. रेलवे की यह कोशिश न केवल सुविधाएँ देगी बल्कि दिव्यांग यात्रियों को सम्मान और आत्मनिर्भरता का एहसास भी कराएगी.

(आनंद राज की रिपोर्ट) 

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