किसी के साथ देखने, सुनने या बोलने की परेशानी हो तो उसे ज़िदगी के कई पड़ाव पर मुश्किल का सामना करना पड़ता है. कई बार तो समाज ही उसका मज़ाक बनाने लगता है. ऐसी हालत में किसी को अपनी बात समझाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
अगर कोई दृष्टिहीन हो, या सुन न पाना हो, या बोल न पाता हो तो उसके लिए जीवन थोड़ा कठिन हो जाता है. ऐसी परेशानियां अगर कोई बच्चा झेल रहा हो, तो उसके लिए पढ़ना भी मुश्किल है. जीवन में सफलता के लिए पढ़ाई कितनी जरूरी है, इस बात पर तो चर्चा करने की जरूरत ही नहीं है.
लेकिन इन तीनों परेशानियों का सामना करते हुए एक लड़की ने अच्छे अंकों के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की. जिसके बाद कड़ी मेहनत से एक सरकारी नौकरी भी प्राप्त कर ली. सरकारी नौकरी के सपने तो लोग खुली आंखों से देखते हैं. लेकिन इस दृष्टिहीन लड़की ने उस सपने को भी पूरा किया. चलिए बताते हैं कि आखिर कौन है वो लड़की?
न टूटने दी हिम्मत, रखे हौसले बुलंद
इंदौर की बेटी गुरदीप वासु कौर देश की पहली सरकारी अफसर बन गई हैं, जिन्होंने कई शारीरिक बाधाओं को पार करते हुए सरकारी नौकरी हासिल की. वह इंदौर के अन्नपूर्ण क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं. 34 वर्षीय इंदौर पर लड़की गुरदीप रोज एक आम इंसान की तरह नौकरी पर जाती हैं और पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करती हैं.
करती हैं टेक्टाइल साइन लैंग्वेज इस्तेमाल
आमतौर पर हम लोग बाहर लोगों को साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल करते हुए देखते हैं. वह लोग आम साइन लैंग्वेज में बात कर पाते हैं, क्योंकि वह एक-दूसरे के इशारों को देख सकते हैं. पर गुरदीप दृष्टिहीन हैं. ऐसे में उनके लिए किसी इशारे को देख पाना असंभव है. इसलिए वह टेक्टाइल साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल करती हैं.
टेक्टाइल साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल दृष्टिहीन और मूक-बधिर लोग करते हैं. इसमें स्पर्श के द्वारा अपनी बात को दूसरे तक पहुंचाया जाता है. यानी संवाद के लिए यहां स्पर्श का इस्तेमाल किया जाता है.
गुरदीप ने अपनी पढ़ाई भी टेक्टाइल साइन लैंग्वेज में की है. इंदौर की आनंद सर्विस सोसायटी द्वारा उनके लिए स्पर्श लिपि में 10वीं औऱ 12वीं का सिलेबस तैयार किया गया. गुरदीप पढ़ाई के लिए रोज 8 घंटे समर्पित करती थी, जिसके बाद वह पास हो पाईं. साथ ही उन्होंने कानून का सहारा लेकर अपनी परीक्षाओं के लिए मूक-बधिक राइटर की मांग पूरी की.
क्या कहना है मां-बाप का
गुरदीप के माता-पिता कहते है कि गुरदीप का जन्म समय से काफी पहले हो गया. वह पांच माह की हो गई, उसके बाद भी वह किसी बात को लेकर रिएक्ट नहीं करती थी. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में दिखाया गया. वहां जाकर पता लगा कि गुरदीप देख, सुन और बोल नहीं पाती हैं.