Aab-Gajab: शराब की 800 बोतलें पी गए चूहे? करप्शन छिपाने का अजब गजब मामला

धनबाद में इंडिया मेड फॉरेन लिकर यानी शराब के गायब स्टॉक का कारण न बता पाने वाले व्यापारियों ने चूहों पर लगभग 800 शराब की बोतलें पीने का आरोप लगाया है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST

हमारे देश में भ्रष्टाचार की ऐसी दौड़ है कि इंसान अब बेजुबानों को भी नहीं छोड़ रहा है. छोटा-सा जीव चूहा भी अपनी छवि साफ़ नहीं रख पा रहा है. झारखंड के धनबाद में कुछ ऐसा सामने आया है की आप कहेंगे कि अब चूहे भी सेफ नहीं हैं. दरअसल, धनबाद में इंडिया मेड फॉरेन लिकर यानी शराब के गायब स्टॉक का कारण न बता पाने वाले व्यापारियों ने चूहों पर लगभग 800 बोतलें पीने का आरोप लगाया है. 

बेचारे चूहों पर यह अजीबोगरीब आरोप लगा है और वे तो उन्हें बदनाम करने वालों पर मुकदमा भी नहीं कर सकते. झारखंड की नई शराब नीति के 1 सितंबर से लागू होने से पहले, राज्य प्रशासन शराब के स्टॉक की जांच कर रहा है. इस अभियान के तहत, धनबाद के बलियापुर और प्रधान खूंटा इलाकों में दुकानों की जांच की गई. 

करप्शन में मासूम चूहों को घसीटा 
उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में की गई स्टॉक जांच में पता चला कि 802 आईएमएफएल बोतलें खाली या लगभग खाली थीं. जब व्यापारियों से इसके बारे में पूछा गया, तो उन्होंने चूहों को दोषी ठहराया. उन्होंने अधिकारियों को बताया कि चूहों ने बोतलों के ढक्कन कुतर दिए और शराब पी गए. हालांकि, दोष मढ़ने की यह बेतहाशा कोशिश काम नहीं आई और व्यापारियों से नुकसान की भरपाई करने को कहा गया.सहायक आबकारी आयुक्त रामलीला रवानी ने कहा कि व्यापारियों को नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस भेजे जाएंगे. 

पहली बार नहीं हुआ है ऐसा
दिलचस्प बात यह है कि धनबाद में यह पहली बार नहीं है जब चूहों पर नशीले पदार्थों की चोरी का आरोप लगाया गया हो. इससे पहले, चूहों पर पुलिस द्वारा ज़ब्त किए गए लगभग 10 किलो भांग और 9 किलो गांजा खाने का आरोप लगा था. मामला अदालत तक भी गया, जिसने संबंधित अधिकारियों को उनके बेतुके दावे के लिए फटकार लगाई. 

बदलेगी शराब नीति 
झारखंड की नई शराब नीति के तहत, शराब की दुकानों का प्रबंधन और आवंटन राज्य सरकार के नियंत्रण से हटकर निजी लाइसेंसधारियों के हाथों में चला जाएगा, जिनका चयन ऑनलाइन लॉटरी के ज़रिए किया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य रेवेन्यू कलेक्शन में ट्रांसपेरेंसी बढ़ाना और राज्य पर प्रशासनिक बोझ कम करना है. 

 

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