2020 तक, केरल में हर साल लगभग 130 से 150 लोग सांप के काटने से मारे जाते थे. लेकिन 2024 तक यह संख्या घटकर केवल 30 रह गई है. इसका श्रेय केरल वन विभाग की ‘सर्प’ (Sarpa) मोबाइल ऐप को जाता है.
क्या है 'सर्प' ऐप?
‘सर्प’ का मतलब होता है सांप. यह ऐप लोगों को ऐसे लोगों से जोड़ता है जिन्होंने सांप रेस्क्यू करने की ट्रेनिंग की है और उनके पास सर्टिफिकेट है. इसके साथ ही यह:
अब तक 54,000 से अधिक सांपों के बचाव अभियान इस ऐप की मदद से पूरे किए जा चुके हैं.
समय पर इलाज ने बचाई जानें
वन विभाग के सहायक संरक्षक और सरपा ऐप के कोऑर्डिनेटर मोहम्मद अनवर के अनुसार, "सांप के काटने पर समय पर और सही इलाज सबसे जरूरी है. सरपा ऐप इसी काम में मदद करता है. इसी वजह से मौतों की संख्या 130-150 से घटकर 30 पर आ गई है."
अन्य राज्यों ने अपनाया केरल का मॉडल
केरल के इस ऐप से प्रभावित होकर, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों ने भी इस मॉडल को अपनाने के लिए कदम उठाए हैं. 2020 में केरल ने जो 'स्नेक रेस्क्यू गाइडलाइंस' जारी की थी, उसके बाद कर्नाटक और भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने भी ऐसी गाइडलाइंस तैयार कीं.
दो घटनाओं ने दिया बदलाव का कारण
2019 में वायनाड की एक 10 साल की बच्ची की सांप के काटने से स्कूल में मौत हो गई, और कोल्लम जिले में एक 25 वर्षीय महिला, उथरा, की उसके पति ने कोबरा से डंसवाकर हत्या कर दी. इन दोनों घटनाओं ने सरकार को इस ऐप की जरूरत महसूस कराई।
सांप के काटने से होती थीं ज़्यादातर मौतें
केरल में मानव और वन्यजीव संघर्ष से होने वाली मौतों में 80% मौतें सांप के काटने से होती थीं. ‘सर्प’ ऐप की मदद से इन मौतों में भी कमी आई है. केरल में लगभग 130 तरह के सांप पाए जाते हैं. इनमें सबसे आम हैं कोबरा, अजगर (python) और चूहे वाला सांप (rat snake). अब राज्य में 3000 से अधिक सांप पकड़ने वाले प्रशिक्षित लोग हैं, जिनमें से करीब 935 एक्टिव रूप से काम कर रहे हैं.
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