नॉर्थ कोरिया के इस गांव में मौजूद हैं तमाम सुविधाएं, फिर भी नहीं रहता कोई

इस गांव में कोई नहीं रहता और यह उत्तर कोरिया के कई नकली शहरों की तरह एक है. नॉर्थ कोरिया ने इस गांव को इसलिए बनाया था ताकि साउथ कोरिया में रह रहे लोगों को बता सके कि यहां के लोग काफी लग्जरी लाइफ जी रहे हैं.

किजोंग-डोंग गांव (फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)
श्रुति श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली ,
  • 25 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:23 PM IST
  • तमाम सुख-सुविधाएं होने के बावजूद इस गांव में कोई नहीं रहता.
  • इस गांव को प्रोपगैंडा विलेज भी कहते हैं.

दुनियाभर में कई देश अपनी अनोखी खूबियों के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. कहीं की प्राकृतिक सुदंरता सबसे अलग है, तो कहीं की संस्कृति. पर इन सबसे हटकर एक गांव ऐसा भी है जहां तमाम सुख-सुविधाएं होने के बावजूद वहां कोई नहीं रहता. दुनियाभर में ऐसी कई रहस्यमयी जगहें हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. ऐसी ही एक जगह है उत्तर कोरिया (North Korea) का किजोंग-डोंग (Kijong-dong) गांव. 

साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया  के मिलिट्रीरहित जोन में बसे इस गांव में आलीशान इमारतें, साफ-सुथरी सड़कें, पानी की टंकी, बिजली, स्ट्रीट लाइट, हॉस्पिटल, स्कूल समेत तमाम तरह की सुविधाएं हैं. इस गांव को 1953 में हुए कोरियन वॉर के बाद हुए युद्ध विराम के दौरान बनाया गया था. इस गांव को प्रोपगैंडा विलेज (Propaganda Village) कहते हैं. इस गांव में कोई नहीं रहता और यह उत्तर कोरिया के कई नकली शहरों की तरह एक है. हालांकि, नॉर्थ कोरिया ने इस गांव को इसलिए बनाया था ताकि साउथ कोरिया में रह रहे लोगों को बता सके कि यहां के लोग काफी लग्जरी लाइफ जी रहे हैं. इसे 'शांति गांव (Peace Village)' के रुप में भी जाना जाता है. लेकिन यहां तमाम सुविधाओं के बावजूद भी कोई नहीं रहता है.

इस गांव को प्रोपगैंडा विलेज भी कहते हैं

इस गांव के निर्माण का किस्सा भी बेहद रोचक है. दरअसल, जब नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच कोरियाई युद्ध की अनौपचारिक समाप्ति हुई, तब इसका निर्माण हुआ. दोनों देशों को अलग करने वाले इस क्षेत्र को डिमिलिट्राइज एरिया  के रुप में जाना जाता है. युद्ध के दौरान दोनों देशों ने यहां से अपने नागरिकों को हटा दिया था. जब युद्ध विराम की घोषणा हुई, तब तय हुआ कि दोनों देश सीमा पर सिर्फ एक ही गांव को बरकरार रख सकते थे या फिर नया गांव बसा सकते थे.

ऐसे में दक्षिण कोरिया ने अपनी सीमा में मौजूद फ्रीडम विलेज के रुप में डाइसॉन्ग-डोन्ग (Daeseong-dong) गांव को बरकरार रखा. इस गांव में 226 लोग रहते हैं. यहां रात 11 बजे के बाद कर्फ्यू लग जाता है और इस गांव में बाहर का कोई आदमी प्रवेश नहीं कर सकता है. यहां के लोगों को विशेष पहचान पत्र दिया गया है. वहीं, दूसरी ओर नॉर्थ कोरिया ने पीस विलेज के रुप में एक नया शहर किजोंग-डोंग बसाया. जिसका मकसद साउथ कोरिया के लोगों को यह दिखाना था कि नॉर्थ कोरिया के निवासी काफी लग्जरी लाइफ जीते हैं.

इस गांव में नहीं रहता कोई 

यह शहर काफ़ी व्यवस्थित ढंग से बसाया गया है. पूरे शहर में नीली रंग की छते हैं. लेकिन, घरों के अंदर कोई स्ट्रक्चर नहीं बना है. साथ ही, इस बात का खास ख्याल रखा जाता है घरों की लाइटें दिन में बंद रहें और रात में जलें. इस शहर में जगह-जगह स्पीकर लगे हुए हैं, जिनका मुंह दक्षिण कोरिया की तरफ है. जिनमें नॉर्थ कोरिया के शांतिपूर्ण जीवन के बारे में बताया जाता है. किजोंग-डोंग को लेकर उत्तर कोरिया दावा करता है कि यहां पर 200 लोग रहते हैं. लेकिन, जब सैटेलाइट के जरिए इस शहर को देखा गया, तो पता चला कि यहां कोई नहीं रहता. लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए रोजाना घरों में लाइट जलाई जाती है. सड़कों पर सफाईकर्मी झाड़ू लगाते नजर आते हैं, लेकिन यहां रहने वाले लोग नहीं दिखते.

 

 

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