Thirst Traps: सोशल मीडिया पर कर रहे हैं किसी महिला की फोटो लाइक तो पत्नी दे सकती है तलाक

तुर्की की सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया है कि सोशल मीडिया पर दूसरी महिलाओं की पोस्ट को लाइक करना तलाक के मामले में सबूत बन सकता है. इस ऐतिहासिक निर्णय ने रिश्तों में भरोसे और 'माइक्रो-चीटिंग' को लेकर नई बहस छेड़ दी है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST
  • पत्नी अब इस आधार पर दे सकती है तलाक
  • क्या दूसरे देशों में भी लागू होगा यह नियम?

सोचिए की आपने किसी लड़की की तस्वीर लाइक की और यही आधार बन जाए आपके तलाक का तो आप भी कहेंगे, क्या मजाक है?. पर यह मजाक नहीं है बल्कि सच है, लेकिन भारत में नहीं तुर्की में. जी हां, तुर्की से सामने आए एक ऐतिहासिक अदालत के फैसले ने इस बहस को अब तेज कर दिया है. तुर्की की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कैसेशन ने माना है कि शादीशुदा व्यक्ति द्वारा अन्य महिलाओं की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर बार-बार लाइक करना तलाक के मामले में सबूत बन सकता है.  

कुछ इस तरह आया विवाद सामने
यह मामला तुर्की के एक शहर कायसेरी का है, जहां पति एस.बी. और पत्नी एच.बी. दोनों ने तलाक की अर्जी दाखिल की थी. पत्नी ने आरोप लगाया कि उसका पति न सिर्फ उसे नीचा दिखाता था, बल्कि आर्थिक सहयोग भी नहीं करता था. इसके साथ ही उसने अपने पति पर विवाह की मर्यादा भंग करने और धोखा देने का आरोप लगाया, यह कहते हुए कि वह लगातार दूसरी महिलाओं की सोशल मीडिया पोस्ट्स को लाइक करता था. वहीं पति ने पलटवार करते हुए पत्नी पर अपने पिता का अपमान करने, जरूरत से ज्यादा शक करने और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां शेयर करने का पत्नी पर आरोप लगाया है.

कोर्ट का फैसला
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पति को ज्यादा दोषी माना. कोर्ट ने कहा कि  'सोशल मीडिया पर दूसरी महिलाओं की तस्वीरों को बार-बार लाइक करना विवाह में विश्वास को कमजोर करने का काम करता है.' इसी आधार पर कोर्ट ने दोनों के तलाक की अर्जी मंजूर की और पति को पत्नी को हर्जाना और भरण-पोषण देने का आदेश दिया है. यह फैसला तुर्की में एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि पहली बार सोशल मीडिया पर किसी शादी-शुदा आदमी द्वारा किसी और की तस्वीर लाइक करने को सीधे तौर पर वैवाहिक बेवफाई से जोड़ा गया है.

क्या दूसरे देशों में भी लागू होगा यह नियम?
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला तुर्की तक सीमित है. ऑस्ट्रेलिया के वकील जहान कलांतर के अनुसार, तुर्की में 'एट-फॉल्ट डाइवोर्स सिस्टम' है, जहां शादी टूटने के लिए किसी एक पक्ष को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. वहीं ऑस्ट्रेलिया में 1975 से 'नो-फॉल्ट डाइवोर्स सिस्टम' लागू है, जहां तलाक के लिए सिर्फ 12 महीने का अलगाव ही पर्याप्त माना जाता है, किसी गलती को साबित करना जरूरी नहीं होता.

माइक्रो-चीटिंग के अंदर आता है मामला
हालांकि यह फैसला हर देश में कानूनी रूप से मान्य न हो, लेकिन रिश्तों पर इसका असर जरूर पड़ता है. सोशल मीडिया आज के वक्त में इंसान के निजी रिश्तों पर भी गहराई से असर डाल रहा है. वहीं मनोवैज्ञानिक इसे 'माइक्रो-चीटिंग' की कैटेगरी के सूची से जोड़ते हैं. ऑस्ट्रेलियाई साइकोलॉजिस्ट मेलानी शिलिंग द्वारा दिया गया यह शब्द उन छोटी-छोटी हरकतों को दर्शाता है, जो सीधे धोखा न होते हुए भी रिश्ते में अविश्वास पैदा कर देती हैं, जैसे पार्टनर से छीप कर किसी को या किसी की तस्वीर को लाइक करना, उसे डीएम भेजना या छुपकर ऑनलाइन बातचीत करना.

यह मामला साफ संकेत दे रहा है कि डिजिटल दुनिया में की गई छोटी सी हरकत भी रिश्तों पर बड़ा असर डाल सकती है. तुर्की का यह फैसला दुनिया भर में शादी, भरोसे और सोशल मीडिया की सीमाओं को लेकर नई बहस को जन्म दे रहा है.

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