Ajab-Gajab: पत्नी की प्रताड़ना का अनोखा विरोध... ससुराल में खोल दी चाय की टपरी.... लिखा जब तक नहीं मिलता न्याय, उबलती रहेगी चाय

उनका कहना है कि उन्होंने अपनी पत्नी द्वारा लगाए गए झूठे घरेलू हिंसा के आरोपों के खिलाफ यह कदम उठाया है.

498A Tea Cafe (Photo: X)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 12 जून 2025,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST

मध्य प्रदेश के नीमच जिले के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के गांव में एक चाय की दुकान खोली, जिसका नाम रखा "498A Tea Cafe." यह दुकान किसी आम चाय दुकान जैसी नहीं, बल्कि एक अनोखे विरोध का प्रतीक है. कृष्ण कुमार धाकड़ (केके) जावद के रहने वाले हैं. उनका कहना है कि उन्होंने अपनी पत्नी द्वारा लगाए गए झूठे घरेलू हिंसा के आरोपों के खिलाफ यह कदम उठाया है.

एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने आत्महत्या तक का सोच लिया था, लेकिन फिर उन्होंने चाय की दुकान खोलकर विरोध करने का फैसला किया. 

शादी और व्यवसाय की शुरुआत
केके की शादी 2018 में राजस्थान के अंता कस्बे की एक युवती से हुई थी. दोनों ने साथ मिलकर मधुमक्खी पालन सीखा और एक सफल शहद व्यवसाय की शुरुआत की. उन्होंने कई बेरोज़गार महिलाओं को काम दिया, जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला.

अप्रैल 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके व्यवसाय का उद्घाटन किया और उनके काम की सराहना की. व्यवसाय तेजी से बढ़ा और आसपास के इलाकों में उनके शहद की मांग भी बढ़ गई. केके ने यह व्यवसाय अपनी पत्नी के नाम पर पंजीकृत करवाया, ताकि उसकी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिले. इस दौरान वे UPSC की तैयारी भी कर रहे थे.

ज़िंदगी का मोड़
अक्टूबर 2022 में अचानक उनकी पत्नी अपने मायके अंता लौट गई और कभी वापस नहीं आई. कुछ महीने बाद उसने 498A (घरेलू हिंसा व दहेज प्रताड़ना) और धारा 125 (भरण-पोषण) के तहत केस दर्ज करवा दिए.

केके का दावा है कि ये सारे आरोप झूठे हैं. उन्होंने कहा कि पत्नी ने व्यवसाय का मालिकाना हक़ अपने नाम पर होने का फायदा उठाया और सब कुछ छीन लिया. कानूनी विवादों और मानसिक तनाव के चलते उन्हें UPSC की तैयारी छोड़नी पड़ी. 

विरोध का अनोखा तरीका
तीन साल तक कई बार आत्महत्या के विचार आने के बावजूद, अपनी बूढ़ी मां के सहारे और हिम्मत के साथ केके ने हार नहीं मानी. उन्होंने फैसला किया कि वो इस सिस्टम के खिलाफ एक अलग तरीके से लड़ेंगे.

वे 220 किलोमीटर का सफर तय कर अपनी पत्नी के ही गांव अंता में पहुंचे और वहां चाय की दुकान खोल दी. दुकान पर शादी की वरमाला और दूल्हे की पगड़ी सजाई गई थी, जो उनके टूटे रिश्ते का प्रतीक है. उद्घाटन के दिन उन्होंने हाथों में हथकड़ी पहनकर चाय बनाई, जो उनके कानूनी झमेलों का प्रतीक था.

विरोध का नारा
दुकान पर एक स्लोगन लिखा है- “जब तक नहीं मिलता न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय.” और दुकान का प्रचार अनोखे नारे से किया जाता है "498 वाले बाबा की स्पेशल चाय." केके अब एक टीन की झोपड़ी में रहते हैं और सामाजिक तथा मानसिक तनाव के बीच कानूनी लड़ाई लड़ रहे है.

कानून के दुरुपयोग पर सवाल
केके का कहना है कि धारा 498A का कई बार गलत इस्तेमाल होता है, जिससे निर्दोष पुरुष फंस जाते हैं. उनका मकसद सिर्फ अपना दर्द नहीं बताना, बल्कि इस कानून के दुरुपयोग को लेकर जागरूकता फैलाना भी है. उनकी चाय की दुकान अब सिर्फ रोज़ी-रोटी नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक विरोध भी बन गई है. 


 

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