Microplastics in Food: जानिए क्यों हमारे खान-पान में पहुंच रहा है प्लास्टिक... कैसे कर सकते हैं इससे बचाव

यह स्टडी Food Packaging Forum (ज्यूरिख) से जुड़ी लिसा ज़िमरमैन ने स्विट्ज़रलैंड के Eawag और नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NTNU) से जुड़े सहयोगियों के साथ मिलकर की.

Microplastic
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 30 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

एक नई रिसर्च में पाया गया है कि रोज़मर्रा के प्लास्टिक पैकेजिंग और किचन के सामान के इस्तेमाल से भी छोटे-छोटे प्लास्टिक कण हमारे खाने-पीने में शामिल हो सकते हैं. ये कण माइक्रोप्लास्टिक (1-1000 माइक्रोमीटर) और नैनोप्लास्टिक (1 माइक्रोमीटर से छोटे) कहलाते हैं.

स्टडी में क्या पाया गया?
यह स्टडी Food Packaging Forum (ज्यूरिख) से जुड़ी लिसा ज़िमरमैन ने स्विट्ज़रलैंड के Eawag और नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NTNU) से जुड़े सहयोगियों के साथ मिलकर की. टीम ने 103 शोधपत्रों की समीक्षा की और पाया कि ज्यादातर में प्लास्टिक पैकेजिंग या उपकरणों के संपर्क में आने वाले फूड प्रोडक्ट्स में प्लास्टिक कण पाए गए.

हालांकि, सिर्फ 7 स्टडीज़ ही सबसे उच्च मानकों पर खरी उतरीं. करीब एक-तिहाई स्टडीज ने समय, तापमान और दोहराए जाने वाले इस्तेमाल जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर परिणाम दिए.

माइक्रोप्लास्टिक हमारे खाने में कैसे आते हैं?

  • पैकेजिंग खोलने की सामान्य प्रोसेस जैसे बैग फाड़ना, कैप घुमाना, या रैपर काटना भी माइक्रोप्लास्टिक पैदा कर सकती हैं.
  • गर्मी और लंबा स्टोरेज समय इन माइक्रोप्लास्टिक्स को और बढ़ा देते हैं.
  • चाय की पॉलिमर टी बैग्स तो एक कप में 11.6 अरब माइक्रोप्लास्टिक और 3.1 अरब नैनोप्लास्टिक कण छोड़ते हैं.

किन आदतों और सामान से बचें

  • टी बैग की जगह खुली पत्ती वाली चाय (स्टेनलेस स्टील इन्फ़्यूज़र या पेपर टी बैग्स में) लें.
  • ग्लास या स्टील कंटेनर में ड्रिंक्स और सॉस स्टोर करें.
  • प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल से बचें. जितना हो सके स्टील या कांच की बोतल इस्तेमाल करें. 
  • किचन में लकड़ी या ग्लास कटिंग बोर्ड इस्तेमाल करें. प्लास्टिक बोर्ड पर चाकू चलने से मीट तक में प्लास्टिक के कण मिले हैं.
  • पुराने प्लास्टिक के बर्तन समय पर बदलें.
  • प्लास्टिक कंटेनरों में खाना गर्म न करें; इसकी जगह ग्लास या सिरेमिक इस्तेमाल करें.

सेहत पर क्या असर पड़ता है?
एक शोध में पाया गया कि जिन मरीजों की धमनियों से निकाले गए प्लाक में माइक्रोप्लास्टिक थे, उन्हें दिल का दौरा, स्ट्रोक या मौत का ज्यादा खतरा था. ऐसे में, बहुत जरूरी है कि हम प्लास्टिक से जितना हो सके उतना बचें. रिसर्चर्स का कहना है कि सरकारों को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए. रियल यूज के दौरान (समय, तापमान, बार-बार इस्तेमाल) प्लास्टिक के कणों की जांच को अनिवार्य करना चाहिए.  एकरूप टेस्टिंग से कंपनियां सुरक्षित उत्पाद बना पाएंगी और उपभोक्ता सही विकल्प चुन सकेंगे.

आपके लिए आसान बदलाव

  • प्लास्टिक वाली चाय की थैलियों से बचें
  • गर्म खाने को पैक करने या किसी फूड प्रोडक्ट को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए ग्लास या स्टील अपनाएं
  • पुराने प्लास्टिक टूल्स समय पर बदलें

यह स्टडी npj Science of Food जर्नल में प्रकाशित हुई है.

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