मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची अब बागान से बाजारों में आ गई है. मार्केट में लीची की बिक्री होने लगी है. शाही लीची का स्वाद इस बार बढ़ने वाला है. जिले में देश भर के खरीददार पहुंचने लगे हैं और कीमत भी देने को तैयार हैं. किसानों ने बातचीत में बताया है कि डिमांड बढ़िया है.
मुंबई के लिए लीची की सप्लाई-
शाही लीची ट्रेन के माध्यम से मुबंई और दिल्ली भी सप्लाई शुरू हो गई है. सीजन आते ही शाही लीची का डिमांड काफी बढ़ जाती है. बड़े-बड़े महानगरों से व्यापारी मुजफ्फरपुर पहुंच किसानों से संपर्क कर ऑर्डर देने लगते है. दिल्ली और मुंबई के लोगों को मुजफ्फरपुर की शाही लीची भेजी जा रही है. मुजफ्फरपुर जंक्शन से लीची के मुंबई भेजी जा रही है. जयनगर -एलटीटी मुंबई 11062 पवन एक्सप्रेस की एसएलआर बोगी से 400 किलो लीची मुंबई भेजी गई.
अहमदाबाद और लखनऊ भी भेजी जाएगी-
लीची भेजने वाले व्यापारी दामोदरपुर के मो. रेयाज ने लीची की पहली खेप मुंबई भेजी. हाल में बारिश होने से लीची को फायदा हुआ. दस मई को लीची पक गई थी. आने वाले दिनों में अमृतसर, अहमदाबाद और लखनऊ आदि शहरों में भी लीची भेजी जाएगी. एक सप्ताह में सभी इलाकों से लीची आने लगेगी.
पिछले साल भेजी गई थी 6.5 हजार क्विंटल लीची-
पिछले वर्ष की बात करें तो मुजफ्फरपुर जंक्शन से 6.5 हजार क्विंटल लीची दिल्ली और अन्य शहरों में भेजी गई थी. इस वर्ष इसे बढ़ाकर 10 हजार क्विंटल तक पहुंचाने का लक्ष्य है. इसके लिए मुजफ्फरपुर जंक्शन पर व्यापक तैयारी की गई है. लीची के मुंबई जाने में दो दिनों का समय लग जाता है. इसलिए लीची खराब न हो, इसके लिए व्यापारी उसको अच्छे से पैकेजिंग करके भेजते हैं. व्यापारी के अनुसार इस बार लीची का फल काफी अच्छा हुआ है. साइज के साथ साथ खाने में भी काफी मीठा और स्वादिष्ट लग रहा है. इसकी डिमांड लगातार बड़े बड़े शहरों से आ रही है. शुरुआत में तापमान अधिक होने के कारण मौसम का असर लीची पर पड़ा. लेकिन बाद में बारिश हुई, फिर लीची में लाली आने लगी और फल काफी तेजी से विकास किया और जो भी मंजर बचा था, उसका फलन काफी अच्छा हुआ है. लीची को देख व्यापारी भी काफी खुश है.
रोजगार का भी साधन है लीची-
मुजफ्फरपुर की शाही लीची सिर्फ अपने स्वाद और गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि यह राज्य में रोजगार का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुकी है. हर वर्ष लीची के मौसम में हजारों लोगों को इससे रोजगार मिलता है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है. लीची के सीजन में स्थानीय स्तर पर हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है. महिला श्रमिकों को उनके घर के पास ही रोजगार मिल जाता है.
लीची के सीजन के दौरान, बिहार में लगभग दो लाख मजदूरों को रोजगार मिलता है. सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले में 15,000 हेक्टेयर में फैले 3,000 से अधिक लीची के बागों में, छोटे बागों में 25-50 और बड़े बागों में 75-150 मजदूरों की आवश्यकता होती है. इसमें ख़ासकर महिलाओं को अधिक अवसर मिलता है. इसके अलावा, प्रोसेसिंग यूनिट्स में लीची की सफाई, छिलके और बीज निकालने और पल्प तैयार करने जैसे कार्यों में भी महिलाओं को रोजगार मिलता है. लीची उद्योग में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है. वे लीची की तुड़ाई, पैकिंग और प्रोसेसिंग जैसे कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. इससे उन्हें न केवल आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है, बल्कि उनके परिवारों की आय में भी वृद्धि होती है. कई महिलाएं इस उद्योग से जुड़कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं और समाज में अपनी पहचान बना रही हैं. मुजफ्फरपुर की शाही लीची की मांग न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी है. इससे राज्य के किसानों और व्यापारियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिली है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है.
मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि शाही लीची मुजफ्फरपुर के लिए केवल एक फल नहीं, बल्कि रोजगार, सशक्तिकरण और आर्थिक विकास का प्रतीक बन चुकी है. इस उद्योग के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है, विशेष रूप से महिलाओं को, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है. सरकार और संबंधित संस्थानों को चाहिए कि वे इस उद्योग को अधिक समर्थन दें, ताकि यह और अधिक लोगों के लिए रोजगार का स्रोत बन सके.
(मणिभूषण शर्मा की रिपोर्ट)
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