हम सब प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठते हैं, और अक्सर ध्यान भी दिया होगा कि प्लास्टिक की कुर्सी में पीछे की तरफ एक छोटा-सा छेद होता है. बहुत लोग मानते हैं कि यह केवल डिज़ाइन का हिस्सा है, लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा दिलचस्प और उपयोगी है.
कुर्सियों को अलग करने में आसानी
प्लास्टिक कुर्सियों को जब एक-दूसरे के ऊपर रखा जाता है तो उनके बीच हवा फंस जाती है. इससे कुर्सियां चिपक जाती हैं और निकालना मुश्किल हो जाता है. पीछे बना यह छेद हवा को बाहर निकलने का रास्ता देता है, जिससे कुर्सियां आसानी से अलग हो जाती हैं.
मोल्डिंग प्रक्रिया में मदद
प्लास्टिक कुर्सियां गर्म प्लास्टिक को मोल्ड में डालकर बनाई जाती हैं. इस छेद की वजह से कुर्सी को मोल्ड से निकालना आसान हो जाता है और नुकसान की संभावना भी कम होती है.
लागत और वजन कम करना
छोटा-सा छेद कुर्सी का वजन घटाता है और उसमें इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक की मात्रा भी कम करता है. जब लाखों कुर्सियां बनाई जाती हैं, तो यह बचत बहुत बड़ी हो जाती है.
बैठने में आराम और पानी निकासी
यह छेद बैठने वाले को भी राहत देता है. इससे हवा का संचार होता रहता है और पसीने से होने वाली परेशानी कम होती है. साथ ही अगर कुर्सी पर पानी गिर जाए तो वह जमा होने के बजाय इस छेद से आसानी से बाहर निकल जाता है.
डिज़ाइन से बढ़कर काम
यानी, यह साफ है कि प्लास्टिक कुर्सियों का यह छोटा-सा छेद केवल सजावट नहीं, बल्कि कई बड़े काम करता है. चाहे स्टैकिंग हो, मैन्युफैक्चरिंग, लागत बचत या फिर आराम- हर लिहाज़ से यह एक ज़रूरी और समझदारी भरा फीचर है.
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