Zero Budget Natural Farming: पंजाब में सेब और ड्रैगन फ्रूट उगा रहा है यह परिवार, लगाई खुद की प्रोसेसिंग यूनिट, खेत पर आकर चीजें खरीदते हैं लोग

गांव वालों ने उन पर तंज भी कसे कि पंजाब में सेब-ड्रैगन फ्रूट कौन उगाता है? लेकिन रूपिंदर ने हार नहीं मानी.

Kulraj Natural Farm (Photo: Instagram/@kulraj_natural_farm)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 15 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:20 AM IST

पंजाब में लुधियाना ज़िले के पखोवाल गांव की रूपिंदर कौर ने साल 2017 में पारंपरिक खेती की बजाय प्राक़ृतिक खेती करने का फैसला किया. एम.ए. और बी.एड. की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने और उनके परिवार ने मात्र दो एकड़ ज़मीन से प्राकृतिक खेती की शुरुआत की.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआत में, उन्होंने एक एकड़ में सेब और दूसरे में ड्रैगन फ्रूट, पपीता और अनार लगाए. गांव वालों ने उन पर तंज भी कसे कि पंजाब में सेब-ड्रैगन फ्रूट कौन उगाता है? लेकिन रूपिंदर ने हार नहीं मानी. पति मेजर सिंह (रिटायर्ड केमिस्ट्री प्रोफेसर) और परिवार के सहयोग से उन्होंने ‘कुलराज नेचुरल फार्म’ की स्थापना की.

धीरे-धीरे उन्होंने 15 एकड़ खेतों में प्राकृतिक खेती को फैलाया. आज उनके पास 3.5 एकड़ बाग हैं जिनमें सेब, अमरूद की 14 किस्में, केला, आम, अंगूर, किन्नू, जामुन, फालसा, अनार और नींबू जैसी 50 किस्मों के फल उगते हैं. खेत की मेड़ पर देसी गुलाब लगाए गए हैं जिनसे गुलकंद तैयार होता है.

प्रोसेसिंग यूनिट शुरू की 
रूपिंदर और मेजर सिंह ने महसूस किया कि सिर्फ खेती से स्थायी आय संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने अपना प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किया. यहां आटा, इडली मिक्स, पोहा, बिस्किट, नूडल्स, गुड़ उत्पाद, जैम, टॉफी, हल्दी पाउडर, दालें (अरहर, मूंग, उड़द, छोले) और तेल (तोरी, सरसों) जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं.

उनकी गेहूं की पारंपरिक किस्में (सोना मोती, ब्लैक व्हीट, बंसी, शरबती आदि) रासायनिक खेती की तुलना में आधी पैदावार देती हैं, परंतु बाज़ार में इनकी कीमत एमएसपी से दो से पांच गुना ज्यादा मिलती है. ग्राहक पहले से ही बुकिंग कर लेते हैं.

सीधा ग्राहकों को पहुंचाते हैं उत्पाद
आज यह परिवार Direct-to-Customer मॉडल पर काम कर रहा है. ग्राहक खेत पर आकर फल और उत्पाद खरीदते हैं, वहीं परिवार घर-घर डिलीवरी भी करता है. वे व्हाट्सऐप ग्रुप्स के माध्यम से उपलब्ध उत्पादों की जानकारी साझा करते हैं. खेत को जीरो-वेस्ट बनाने के लिए जैविक खाद, बायोगैस प्लांट, वर्मी-कम्पोस्ट और ड्रिप सिंचाई जैसे उपाय किए गए हैं. पांच साहिवाल गायों से दूध और गोबर दोनों का इस्तेमाल होता है.

महिलाओं और युवाओं को प्रेरणा
रूपिंदर और मेजर सिंह ने कई महिला समूहों को जोड़कर ‘पखोवाल फार्म प्रोड्यूसर कंपनी’ बनाई, जिसमें आज 300 सदस्य हैं. उनका उद्देश्य किसानों, विशेषकर महिलाओं को बेहतर बाज़ार और पहचान दिलाना है. उनके बेटे जपनीत सिंह (एमएससी) ने आईटी क्षेत्र की नौकरी छोड़ खेती को चुना. बेटियां भी पीएचडी कर चुकी हैं. मेजर सिंह कहते हैं कि खेती अब पिछड़ापन नहीं, बल्कि विज्ञान और नवाचार से जुड़ा उद्यम है.

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