रायसेन के ऐतिहासिक किले के इतिहास को पहली बार किसी मंच पर बेहद संवेदनशील तरीके से "पारस पत्थर" नाटक का मंचन कर दिखाया गया. स्कूल ने अपने 50वें गोल्डन जुबली समारोह में ऐसा कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसे देखकर हर दर्शक गर्व से भर उठा. पहली बार शहर के किसी मंच पर रायसेन किले के इतिहास को इतने संवेदनशील और सजीव रूप में पेश किया गया. करीब 400 बच्चों ने 'पारस पत्थर' नाटक के जरिए वह कहानी दिखाई, जिसे लोग अब तक सिर्फ किताबों में पढ़ते आए थे.
क्या है पारस पत्थर की कहानी
किवदंती के अनुसार रायसेन किले पर पारस पत्थर होने की बात कही जाती है. इसी पृष्ठभूमि पर आधारित इस नाटक में राजा पूरनमल और रानी रत्नावली के साहस, समर्पण और बलिदान का अद्भुत चित्रण किया गया. नाटक में दिखाया गया कि कैसे शेरशाह सूरी ने किले पर हमला किया और चार महीने तक चला युद्ध राजा पूरनमल ने अपने शौर्य से रोके रखा. और कैसे अंत में शेरशाह सूरी द्वारा संधि तोड़ने के बाद स्थिति बदल गई तभी रानी रत्नावली ने राजसम्मान बचाने के लिए स्वयं तलवार से अपनी जान दे दी. इस किले में आज भी लोग सोने और पारस पत्थर की खोज में खुदाई करते हैं. तांत्रिक भी यहां आते हैं.
50वें स्थापना दिवस में 1200 बच्चों ने दी प्रस्तुतियां
समारोह में कुल 1200 बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. मंच पर गणेश वंदना और मां दुर्गा स्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. रंगारंग प्रस्तुतियों ने माता-पिता और मेहमानों का मन मोह लिया.
अतिथियों ने बच्चों के प्रदर्शन की सराहना की
कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष सविता जमुना सेन, जिला पंचायत अध्यक्ष यशवंत मीणा और कलेक्टर अरुण विश्वकर्मा मुख्य अतिथि रहे. सभी अतिथियों ने बच्चों के प्रदर्शन की सराहना की, खास तौर पर ‘पारस पत्थर’ नाटक की. स्कूल की प्रिंसिपल हेलन ने बताया कि गोल्डन जुबली वर्ष होने की वजह से इस बार कार्यक्रम को खास रूप दिया गया था. ''बच्चों ने महीनों की तैयारी के बाद इतना बड़ा मंचन शानदार तरीके से किया है.''
मुख्य अतिथि सविता जमुना सेन ने कहा कि नाटक देखकर रायसेन किले के गौरवशाली इतिहास की नई जानकारी मिली. उन्होंने घोषणा की कि वह मुख्यमंत्री से मिलकर इस नाटक को 26 जनवरी के राज्य स्तरीय कार्यक्रम और रायसेन गौरव दिवस में शामिल कराने का प्रस्ताव रखेंगी, ताकि देश–दुनिया रायसेन के इतिहास से परिचित हो सके.
करीब 5,000 परिजन कार्यक्रम देखने पहुंचे. नाटक को लेकर शहर में चर्चा है और लोग कह रहे हैं कि यह रायसेन किले की कथा को नए सिरे से लोगों तक पहुंचाने वाला प्रयास है, जिसे हर मंच पर जगह मिलनी चाहिए.
रिपोर्ट- राजेश कुमार रजक
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