Pesticide Free Mango: 20 साल की शुभावरी ने आम को बनाया इंटरनेशनल ब्रांड, देश-विदेश में भी हैं इनके ऑर्गेनिक आम की डिमांड

शुभावरी 9 साल की उम्र से अपने पिता संजय चौहान के साथ खेती कर रही हैं और आज उनके उगाए आम दिल्ली से लेकर पेरिस, जर्मनी और दुबई तक अपनी मिठास के लिए मशहूर हो चुके हैं.

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gnttv.com
  • सहारनपुर,
  • 18 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST
  • 15 एकड़ में 7 किस्मों के ऑर्गेनिक आम
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से सीधी बिक्री
  • देश-विदेश में है ऑर्गेनिक आम की मांग

जहां एक ओर युवा पीढ़ी कृषि से दूर होती जा रही है, वहीं सहारनपुर की 20 वर्षीय शुभावरी चौहान ने ऑर्गेनिक खेती में नया मुकाम हासिल कर लिया है. शुभावरी 9 साल की उम्र से अपने पिता संजय चौहान के साथ खेती कर रही हैं और आज उनके उगाए आम दिल्ली से लेकर पेरिस, जर्मनी और दुबई तक अपनी मिठास के लिए मशहूर हो चुके हैं.

15 एकड़ में 7 किस्मों के ऑर्गेनिक आम
शुभावरी ने अपने 15 एकड़ खेत में आम की कई खास किस्में लगाई हैं जैसे आम्रपाली, मल्लिका, लंगड़ा, चौसा, दशहरी, गुलाब जामुन और जापान की मशहूर मियाजाकी वैरायटी. ये सभी आम पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीके से उगाए जाते हैं, जिन पर कीटनाशक की जगह गोमूत्र, नीम, तंबाकू और गोबर से तैयार जैविक घोल का छिड़काव किया जाता है.

आम पकने से पहले ही किए जाते हैं सारे इंतजाम
शुभावरी बताती हैं कि आम पकने से पहले ही उन्हें फ्रूट कवर से ढक दिया जाता है ताकि धूप, बारिश और कीड़ों से फल सुरक्षित रह सकें. यही वजह है कि बारिश में भी उनके आम टूटते नहीं और बाज़ार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं.

400 रुपये किलो तक बिकते हैं आम
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से सीधी बिक्री, मंडियों में नहीं भेजतीं आम
शुभावरी अपने आम kheti-badi.com और Kheto Se App के माध्यम से ग्राहकों को सीधे खेत से भेजती हैं. उनके आम की कीमत 250 से 400 रुपये प्रति किलो तक जाती है. कई बार तो मांग इतनी ज़्यादा होती है कि स्टॉक खत्म हो जाता है और अगले ही दिन फिर से ऑर्डर आ जाते हैं.

युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं शुभावरी
शुभावरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. वे मुन्नालाल डिग्री कॉलेज से पढ़ाई भी कर रही हैं. उनका मानना है कि ऑर्गेनिक खेती से न सिर्फ जमीन की उर्वरता बढ़ती है, बल्कि इंसानों की सेहत भी बेहतर होती है.

शुभावरी बताती हैं, "हम आम पर कभी केमिकल स्प्रे नहीं करते. हम गोमूत्र, गोबर, हरी खाद और जीवामृत का प्रयोग करते हैं. यही वजह है कि हमारे आमों की खुशबू, मिठास और स्वाद लोगों को बहुत पसंद आता है. हमें कई बार सुनने को मिला कि ऐसा स्वाद पहले कभी नहीं चखा."

-राहुल कुमार की रिपोर्ट

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