रेलवे सिर्फ़ सफ़र का साधन नहीं, बल्कि मनुष्य की इंजीनियरिंग क्षमता और साहस का प्रतीक भी है. दुनिया के कई हिस्सों में ट्रेनें ऐसी अद्भुत जगहों से होकर गुजरती हैं, जहाँ का नज़ारा यात्रियों को जीवनभर याद रहता है. ऐसी ही एक अनोखी रेल यात्रा चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के तांगगुला पर्वतों में ले जाती है. यहाँ स्थित है तांगगुला रेलवे स्टेशन, जो समुद्र तल से 5,068 मीटर की ऊँचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे स्टेशन है.
आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार
तांगगुला स्टेशन 2006 में क़िंगहाई-तिब्बत रेलवे लाइन के हिस्से के रूप में खोला गया था. यह रेलवे लाइन क़िंगहाई प्रांत के शिनिंग शहर से तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक जाती है. लगभग 1,956 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन का निर्माण आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार है, जिसने पर्माफ्रॉस्ट, ऑक्सीजन की कमी और कड़ाके की ठंड जैसी चुनौतियों को मात दी.
तांगगुला स्टेशन की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यह बिना किसी स्टाफ के संचालित होता है. इसे तकनीकी स्टॉप के तौर पर बनाया गया है, जहां यात्रियों का चढ़ना-उतरना संभव नहीं है. स्टेशन के चारों ओर फैली बर्फ़ से ढकी चोटियाँ और विस्तृत घास के मैदान इसे अद्वितीय बनाते हैं. हालांकि, यहां यात्रियों का शोरगुल अनुपस्थित रहता है.
यात्रियों के लिए अच्छी ख़बर यह है कि भले ही वे स्टेशन पर उतर नहीं सकते, लेकिन क़िंगहाई-तिब्बत रेलवे की ट्रेनें गुजरते वक्त इस स्टेशन और आसपास के मनमोहक दृश्य दिखाती हैं. ऊंचाई के असर से यात्रियों को राहत देने के लिए ट्रेनों में ऑक्सीजन सप्लाई की सुविधा भी दी जाती है.
तांगगुला रेलवे स्टेशन और यह पूरी रेल लाइन मानव की उस जिजीविषा का प्रतीक है, जो असंभव को संभव बनाने की क्षमता रखती है. भले ही यात्री यहां कदम नहीं रख सकते, लेकिन इस मार्ग से गुजरना ही एक ऐतिहासिक अनुभव है- एक ऐसी यात्रा जो रेलवे इतिहास के सुनहरे पन्नों में हमेशा दर्ज रहेगी.
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