Vijayapura: बंजर जमीन से हरित क्रांति तक! जानिए कैसे एक जिले ने साथ मिलकर लगा दिए 1.5 करोड़ पेड़

कर्नाटक सरकार के मल्टी-मिलियन डॉलर प्रोजेक्ट के तहत यहां पिछले दस सालों में 1.5 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं. इस प्रयास ने न सिर्फ जलस्तर बढ़ाया बल्कि पूरे इकोसिस्टम को रिवाइव कर दिया.

Vijayapura Transforms from Arid Land to Green Haven with 15 Million Trees in Karnataka
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 09 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:39 AM IST

कर्नाटक के उत्तरी हिस्से में स्थित विजयपुरा (Vijayapura) आज हरित क्रांति का प्रतीक बन चुका है. कभी सूखा, गर्मी और पानी की किल्लत के लिए मशहूर यह जिला अब अपनी हरियाली और पर्यावरणीय सुधारों के लिए जाना जाता है. कर्नाटक सरकार के मल्टी-मिलियन डॉलर प्रोजेक्ट के तहत यहां पिछले दस सालों में 1.5 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं. इस प्रयास ने न सिर्फ जलस्तर बढ़ाया बल्कि पूरे इकोसिस्टम को रिवाइव कर दिया.

पेड़, तालाब और जल संरक्षण 
विजयपुरा प्रशासन ने 2016 से शुरू हुई इस परियोजना में सदियों पुराने तालाबों और झीलों को पुनर्जीवित किया. नहरों और ऊंची नलिकाओं का निर्माण कर नदियों का पानी मोड़ा गया, जिससे भूजल स्तर में बहुत ज्यादा सुधार हुआ. आज पेड़ की हरियाली विजयपुरा के उत्तरी सिरे से लेकर दक्षिणी ग्रामीण इलाकों तक फैली हुई है.

तापमान में गिरावट और वन्यजीवों की वापसी
कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2023 के बीच विजयपुरा में औसत तापमान में 0.6 डिग्री सेल्सियस की कमी दर्ज की गई है. इस हरियाली ने न सिर्फ वातावरण को ठंडा किया बल्कि काले हिरण, तेंदुए, सांप और दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियों को भी वापस इस क्षेत्र में आकर्षित किया है.

दो अरब रुपये का निवेश और 200 प्रजातियों के पेड़
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की नींव 2016 की गर्मियों में पड़ी, जब तत्कालीन जल संसाधन मंत्री एम. बी. पाटिल को पता चला कि विजयपुरा का वन आवरण सिर्फ 0.17% है. उन्होंने वन विभाग, सामाजिक संस्थाओं और निजी निवेशकों के साथ मिलकर करीब 2 अरब रुपये (लगभग 22 मिलियन डॉलर) का निवेश कर यह अभियान शुरू किया. 14 नए सरकारी नर्सरी खोले गए, जहां बड़, इमली, आम, जामुन, नीम सहित 200 से अधिक प्रजातियों के पौधे तैयार किए गए.

किसानों की भागीदारी 
शुरुआत में किसान ऐसे पौधे लगाने से हिचकिचा रहे थे जिनसे तुरंत आर्थिक फायदा नहीं मिलता. तब सरकार ने उनसे उनकी पसंद पूछी और आम, जामुन, नीम जैसे फलदार पौधों की खेती शुरू की.
किसानों को नि:शुल्क पौधे दिए गए या 10 रुपये से कम की सब्सिडी दर पर बेचे गए. इसके अलावा 17,000 एकड़ में सरकारी निगरानी में पौधारोपण किया गया, और गांवों में सामुदायिक फॉरेस्ट ब्लॉक बनाए गए.

ड्रिप इरिगेशन और सोलर पावर से हरियाली की रक्षा
विजयपुरा सूखा प्रभावित क्षेत्र है, यहां की वनस्पति को आधुनिक ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से जोड़ा गया. पानी की आपूर्ति रीचार्ज टैंकों से की जाती है, जिन्हें सोलर पैनल से 24 घंटे संचालित किया जाता है.

जन आंदोलन बना यह अभियान

  • आज विजयपुरा में स्कूल, कॉलेज, दफ्तर और आम नागरिक इस हरित मिशन का हिस्सा हैं.
  • लोग शादियों, जन्मदिनों और त्योहारों पर पौधे गिफ्ट करते हैं.
  • ट्री मैराथन आयोजित की जाती हैं, जिनमें युवा बड़ी संख्या में भाग लेते हैं.
  • कई लोग अपनी जमीनों पर मिनी फॉरेस्ट तैयार कर रहे हैं.

71 वर्षीय नानासाहेब पाटिल ने हजारों पेड़ लगाए हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, “60 साल पहले यहां खजूर के विशाल पेड़ थे, लेकिन सूखे और 1972 की भयंकर अकाल ने उन्हें खत्म कर दिया. अब मैं वह लौटाने की कोशिश कर रहा हूं जो हमने खोया था.”

इस परियोजना की सफलता को देखते हुए देश के अन्य राज्य, जैसे महाराष्ट्र, इस मॉडल को अपनाने की तैयारी में हैं. कई राज्यों के वन अधिकारी प्रशिक्षण के लिए विजयपुरा का दौरा कर चुके हैं.

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