कुछ कह नहीं सकते, लेकिन सब कुछ समझते हैं. बोल नहीं सकते, लेकिन आंखों से रिश्ते बना लेते हैं. हमारे गली-मोहल्लों के वे आवारा कुत्ते, जिनका कोई नाम नहीं होता, कोई पता नहीं होता, फिर भी हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं. सुबह की भागदौड़ में जब हम बहार निकलते हैं, तो वह एक कोने में बैठ कर हम देखते रहते हैं. जब हम थक कर शाम को घर लौटते हैं, तो वही नजरें जैसे पूछती हैं, कैसे हो? हम भी उनके सिर पर प्यार से हाथ फेर कर कुछ खाने को दे देते हैं.
वह भी चुपचाप अपनी पूंछ को हिला कर जवाब भी दे देते हैं. फिर मौसम का रूख बदलता है और बरसात आ जाती है. इस बदलते मौसम के साथ कुत्तों की वह मासूमियत भरी निगाहें, जो हमें देखा करती थी. उन निगाहों में डर और गुस्सा दिखने लगता है. जिन्हें हम प्यार से पुचकार लेते थे, अब डराने लगते हैं और कई बार तो गुस्से में आकर काट भी लेते हैं. लेकिन शायद ये उनकी गलती नहीं हैं, जी हां यह सच बात है. बारिश के कारण शरीर में ठिठुरन, पेट की भूख, जगह की तलाश, आंखों में डर, सब कुछ उसे इतना असहाय कर देता है. फिर स्ट्रीटडॉग उस अपने पन को नहीं पहचान पाते. ऐसे ही कुछ कारणों की वजह से बरसात में कुत्ते गुस्सैल हो जाते हैं.
1. डर और घबराहट
जब बारिश के मौसम में आसमान में बिजली चमकती है या तेज गड़गड़ाहट सुनाई देती है, तो इंसान भी चौंक जाता है लेकिन जानवरों के लिए यह अनुभव और भी डरावना होता है. खासकर कुत्ते, जिनकी सुनने की शक्ति बहुत तेज होती है. उन्हें ये आवाजें बहुत तेज और असहज लगती हैं. बारिश के दौरान तेज हवा, बिजली की गड़गड़ाहट और अचानक आने वाली आवाजें कुत्तों को बेचैन कर देती हैं और घबराहट में वे भौंकने लगते हैं. इतना ही नहीं आक्रामक भी हो जाते हैं. यह घबराहट कई बार उनके व्यवहार में बदलाव करती है, जो हिंसक प्रतिक्रिया के रूप में सामने आती है. बारिश के मौसम में स्किन इंफेक्शन कुत्तों को खतरनाक बनाता है. इस कारण से भी बारिश के मौसम में कुत्तों की काटने की घटनाएं अधिक दिखती हैं.
2. मीटिंग सीजन
मॉनसून का मौसम जितना सुकून दायक हमें लगता है, उतना ही उथल-पुथल भरा होता है. इस समय कुत्तों के शरीर में तेज हार्मोनल बदलाव होते हैं, क्योंकि यही उनका प्राकृतिक मीटिंग सीजन होता है. इन बदलावों के कारण कुत्तों का व्यवहार अचानक आक्रामक, असहज और अनियंत्रित हो सकता है. छोटे-छोटे छेड़छाड़ और ध्यान खींचने वाले इशारे भी उन्हें भड़का सकते हैं. यही कारण है कि इस मौसम में अकसर कुत्तों की काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. बच्चे, बुजुर्ग या राह चलते लोग, जो गलती से कुत्तों के नजदीक चले जाते हैं, अनजाने में खतरे में पड़ जाते हैं. इसलिए सावधानी रखें, दूरी बनाएं और कुत्तों को स्पेस दें.
3. डॉग बाइट में आयु का क्या है रोल
डॉक्टर के अनुसार कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन लगवाने के लिए आपकी आयु मायने नहीं करती. बच्चा हो या बड़ा, सभी को रेबीज के इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए. डॉक्टर के अनुसार इंजेक्शन की मात्रा को आयु के अनुसार कम या ज्यादा किया जाता है लेकिन इलाज सभी के लिए जरूरी होता है. यदि कुत्ते ने हाथ, चेहरे और छाती जैसे ऊपरी हिस्से पर काट दिया है तो ज्यादा गंभीर माना जाता है क्योंकि ऐसे स्थानों से संक्रमण बहुत जल्दी दिमाग की नसों तक पहुंच जाता है. ऐसे में इलाज में देरी बिल्कुल नहीं करनी चाहिए.
4. कुत्ता काट ले तो क्या करें
यदि किसी को कुत्ता काट ले तो सबसे पहले घाव को साफ पानी और डेटॉल से साफ करें, ताकि संक्रमण का खतरा कम हो. इसके बाद किसी एंटीसेप्टिक से घाव को साफ करें. फिर तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल जाएं, जहां शुरुआत में आपको इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन लगाया जाता है. कुत्ता काटने पर रेबीज वैक्सीन की तीन डोज दी जाती है. पहली डोज उसी दिन, दूसरी डोज तीसरे दिन और तीसरी डोज सातवें दिन. कुछ मामलों में डॉक्टर की सलाह पर चौथी डोज को 14वें दिन दी जाती है. सरकारी अस्पताल में यह इंजेक्शन अकसर मुफ्त लगाए जाते हैं. कुत्ते के काटने पर समय पर इलाज जरूरी है, क्योंकि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, इसलिए इसका इलाज तुरंत कराना जरूरी होता है.
5. बारिश में कुत्तों के काटने से कैसे बचें
बारिश के मौसम में कुत्ते अकसर ज्यादा चिड़चिड़े और आक्रामक हो जाते हैं. इसकी वजह होती है मौसम से जुड़ी बेचैनी, तेज आवाजें और मीटिंग सीजन में हार्मोनल बदलाव. ऐसे में खुद को सुरक्षित रखने के लिए सबसे जरूरी है कि कुत्तों से उचित दूरी बनाएं, खासकर जब वे भीग रहे हों, झुंड में हों या फिर खाना खा रहे हों. गलियों से गुजरते समय तेज हॉर्न बजाने से बचें, क्योंकि इससे वे भड़क सकते हैं. सावधानी रखें और यदि कोई कुत्ता आपकी ओर आता है तो तेजी से भागे नहीं.
(ये स्टोरी पूजा कदम ने लिखी है. पूजा जीएनटी डिजिटल में बतौर इंटर्न काम करती हैं.)